नई दिल्ली। जम्मू और कश्मीर के सुजवां में मारे गए जैश-ए-मोहम्मद के दो आतंकवादी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे में खलल डालना चाहते थे। गिरफ्तार किए गए आतंकियों के सहयोगियों के साथ जारी पूछताछ में यह खुलासा हुआ है। खबर है कि आतंकियों का मकसद ऐसा माहौल तैयार करना था, जिसके चलते पीएम अपना जम्मू दौरा रद्द करने पर मजबूर हो जाएं। प्रधानमंत्री रविवार को पंचायती राज दिवस पर सांबा जिले में पहुंच रहे हैं।
जांच में पता चला है कि आतंकी आत्मघाती जैकेट पहने हुए थे और बड़े स्तर पर हमले की फिराक में थे। दो आतंकियों को सांबा सेक्टर में सपवाल सीमा से लेने वाले सहयोगियों बिलाल अहमद वागे और गाइड शफीक अहमद शेख ने बुधवार को खुलासा किया था कि जैश के हमलावर सुरक्षा बलों के कैंप में बड़ा धमाका करना चाहते थे।
21 अप्रैल को दो आत्मघाती हमलावरों और सुरक्षाबलों के बीच मुठभेड़ हुई थी। जवानों ने शुक्रवार सुबह तक दोनों को ढेर करने में सफलता हासिल कर ली थी। खास बात है कि आज भी सुरक्षाबलों ने दक्षिण कश्मीर के कुलगाम में जैश के दो आतंकियों को मार गिराया है।
फिलहाल, जम्मू और कश्मीर पुलिस और सुरक्षा एजेंसियां सुंजवां में मारे गए आतंकियों की के मामले की जांच कर रही हैं। इसी बीच खुफिया जानकारी से संकेत मिले हैं कि पाकिस्तान की सेना ने जैश-ए-मोहम्मद के बहावलपुर मुख्यालय को घेर लिया है और अंदर मौजूद लोगों से हथियार सौंपने के लिए कहा है।
अगर हमला हो जाता तो क्या होता असर?
अगर सुंजवां के आतंकी 2019 के पुलवामा हमले की तरह इस बार भी सफल हो जाते, तो ये केवल मोदी सरकार के लिए शर्मिंदगी की बात नहीं होती, बल्कि पाकिस्तान के इस समूह के खिलाफ जवाबी कार्रवाई के लिए भी मजबूर होना पड़ता। इससे शहबाज शरीफ सरकार भी प्रभावित होती और द्विपक्षीय संबंधों पर विराम लग सकता था।
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