चंदौली. अलकायदा (Al-Qaeda) समर्थित अंसार गजवातुल हिंद संगठन के मिनहाज व मुशीरूद्दीन को असलहे सप्लाई करने व अन्य मदद पहुंचाने के आरोप में पकड़े गये तीनों समर्थकों के खुलासे के बाद से चंदौली (Chandauli) में भी सरगर्मी तेज हो गई है. रिमांड के लिए एटीएस की ओर से कोर्ट में दाखिल प्रार्थना पत्र में असलहों की आपूर्ति के स्थानों में कानपुर, मुजफ्फरनगर, गाजियाबाद के लोनी समेत चंदौली का जिक्र किया गया है.
ऐसे में सवाल यह उठता है कि जिला पुलिस के मुखबीर नेटवर्क से लेकर अन्य एजेंसियों को इसकी भनक क्यों नहीं लग पाई. यूपी एटीएस ने राजधानी लखनऊ समेत कई शहरों में बम धमाकों की साजिश को नाकाम करते हुए लखनऊ से दो संदिग्ध आंतकी मुशीरूद्दीन और मिनहाज को गिरफ्तार किया था. टीम को इनके पास से काफी मात्रा में विस्फोटक भी बरामद हुआ था.
दोनों संदिग्ध आंतकियों से पूछताछ के बाद एटीएस ने उन्हें असलहा समेत अन्स सामान उपलब्ध कराने के आरोप में शकील, मो. मुस्तकीम व मो. मुईदको पकड़ लिया. तीनों को एटीएस मुख्यालय लाकर की गई पूछताछ के साथ कई अन्य तथ्य सामनें आये. इसके बाद पुलिस ने तीनों को कोर्ट में पेश करने के बाद इनकी रिमांड मांगी.
इस दौरान कोर्ट में रिमांड के लिए दिये गये प्रार्थन पत्र में जिक्र किया गया कि पकड़े गये संदिग्ध आतंकियों के समर्थकों ने चंदौली, कानपुर, मुजफ्फरनगर व गाजियाबाद के लोनी से असलहों व कारतूस खरीदे थे. सूत्र बतातें है कि मिनहाज को लखनऊ में बड़े पैमाने में असलहे की जरूरत थी. इसके लिए तीनों को इस काम पर लगाया गया था. आतंकियों को असलहा सप्लाई के तार चंदौली से जुड़ने की बात सामने आने पर अब सुरक्षा तंत्र की कार्य प्रणाली सवालों के घेरे में आ गई है.
जिले में आईएसआई एजेंट के रूप में पकड़ा जा चुका है राशिद
मुगलसराय कोतवाली क्षेत्र के चौरहट गांव से दो वर्ष पूर्व आर्मी इंटेलिजेंस और एनआईए की संयुक्त टीम राशिद को आईएसआई एजेंट के रूप में गिरफ्तार किया था. वह पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी के लिए रेकी का कार्य करता था. जिसके बाद से जिले में आतंकियों संगठनों के समर्थकों की पनागाह होने की सुगबुगाहट तेज हो गई थी. वहीं हाल ही में पकड़े आतंकी समर्थकों द्वारा असलहों की खरीद में जनपद का नाम सामने आने के बाद से मामला और अधिक गंभीर हो गया है.
ट्रेन से कई बार पकड़ी जा चुकी है असलहे की खेप
पंडित दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन से गुजरने वाली ट्रेनों से जीआरपी कई बार असलहों की खेप पकड़ चुकी है. जीआरपी बीते 5 सालों में लगभग 80 के करीब पिस्टल और तीन तमंचा बरामद कर चुकी है. अधिकतर असलहों की सप्लाई मुंगेर से होती थी, जो कि ट्रेन से कानपुर, मुरादाबाद समेत अन्य शहरों में भेजे जाते थे. इस बात की आशंका जताई जा रही है कि रेलवे स्टेशन पर पुलिस की सख्ती के बाद असलहा तस्करों ने सड़क मार्ग पकड़ लिया हो. जनपद स्थित नौबतपुर बिहार बार्डर से सटा होने के कारण यहां से प्रदेश की सीमा में प्रवेश करना आसान है.
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