
नई दिल्ली: पहलगाम आतंकी हमले (Pahalgam terror attack) के बाद सरकार लगातार सख्त कदम उठा रही है. इनमें पाकिस्तान को कूटनीतिक तौर पर अलग-थलग करने से लेकर आतंकियों के खिलाफ भी मुहिम चलाई जा रही है. इस कड़ी में हमले के मुख्य संदिग्ध आदिल अहमद थोकर का अनंतनाग स्थित घर भी तबाह किया जा चुका है. आदिल ने ही पहलगाम हमले को अंजाम देने में आतंकियों की मदद की थी.
माना जाता है कि आदिल 2024 में आतंकी ट्रेनिंग पूरी करने के बाद पाकिस्तान से कश्मीर घाटी में वापस आ गया. पहलगाम आतंकी हमले में उसकी भूमिका इस इलाके में ट्रेंड आतंकवादियों को भेजने के लिए पाकिस्तान समर्थित संगठनों की प्लानिंग को बताती है. देश में कुल 140 आतंकवादियों में से 14 स्थानीय हैं. लेकिन आज के आतंकवादी 2015-2016 वाले नहीं हैं, तब एक नए आतंकी की औसत उम्र 45 दिन या उससे भी कम थी, लेकिन अब ये आतंकी जंग लड़ने में ट्रेंड हो चुके हैं.
साल 2014 के बाद पाकिस्तान समर्थित एजेंसियों की ओर से वैध यात्रा दस्तावेजों का इस्तेमाल जैसे बदलाव, कश्मीरी युवाओं को आतंकी संगठनों में भर्ती करने की उनकी रणनीति में हुए विस्तार को दिखाता है. इस रणनीति ने LoC पार करने से जुड़े जोखिमों और चुनौतियों को दरकिनार किया और अब वैध दस्तावेजों से एंट्री के बाद आवाजाही में मिली आजादी का फायदा आतंकियों ने उठा रहे हैं.
संभावना है कि ऐसे लोग जम्मू और कश्मीर के भीतर कट्टरता से गुजरे, ऑनलाइन प्रचार, चरमपंथी तत्वों के संपर्क या स्थानीय नेटवर्क के जरिए आतंकी गुट में शामिल हुए हैं. कट्टर विचारधारा वाले लोगों का चयन जानबूझकर की गई कोशिश को दर्शाता है ताकि ऐसे लोगों को भर्ती किया जाए जो ज्यादा प्रतिबद्ध, लचीले और हथियारों को संभालने के साथ हमलों को प्रभावी ढंग से अंजाम देने में काबिल हों. इससे पहले भर्ती किए गए कुछ स्थानीय लोगों में देखी गई कायरता और जज्बे की कमी की वजह से ऐसे बदलाव हुए हैं.
जम्मू और कश्मीर के 300 से ज्यादा निवासियों ने वैलिड ट्रैवल डॉक्यूमेंट्स पर पाकिस्तान की यात्रा की, जिनमें से कम से कम 40 लोग प्रतिबंधित आतंकवादी संगठनों के कैंप में अवैध हथियारों और गोला-बारूद की ट्रेंनिग लेकर आतंकी गुटों में शामि हुए. इसके बाद LoC के जरिए अवैध रूप से घुसपैठ करके और जम्मू और कश्मीर में नागरिकों और सुरक्षाबलों पर हमलों को अंजाम देने में एक्टिव रूप से शामिल हो चुके हैं.
ऐसे लोग आतंकी संगठनों के लिए एसेट बन चुके हैं. कम से कम 15 लोग जम्मू और कश्मीर में अपनी वापसी पर विभिन्न मुठभेड़ों में मारे गए और 9 लोगों के सक्रिय आतंकी होने की पुष्टि हुई है, जो कट्टरपंथी, अच्छी तरह ट्रेंड और मिशन के पक्के हैं. उनमें से कुछ पाकिस्तान में ही रह गए और अलगाववादी गुटों में शामिल होकर, जम्मू और कश्मीर में आतंकवादी गतिविधियों को समर्थन देने के लिए और अशांति को बढ़ावा देने के काम में जुट गए. आदिल भी आतंकी गुटों की इसी बदली रणनीति का एक हिस्सा है.
1992 में गुरी, बिजबेहरा में जन्मे आदिल ने अपनी स्कूली शिक्षा बिजबेहरा में पूरी की फिर गवर्नमेंट डिग्री कॉलेज अनंतनाग से ग्रेजुएशन किया. साल 2018 में रहमत आलम कॉलेज अंचीडोरा अनंतनाग से उर्दू में पोस्ट ग्रेजुएट की पढ़ाई पूरी की. उसने दो साल तक एमएमआई स्कूल, शम्सीपोरा अनंतनाग में एक प्राइवेट टीचर के तौर पर भी काम किया.
आदिल अपने गहरे धार्मिक झुकाव के लिए जाना जाता था और वह धार्मिक समारोहों और मारे गए आतंकवादियों के जनाजे में लगातार शामिल होता था. 25 अप्रैल, 2018 को जम्मू में परीक्षा देने के बहाने वह भारतीय पासपोर्ट नंबर R-1196812 का इस्तेमाल करके अटारी सीमा के रास्ते पाकिस्तान चला गया. पाकिस्तान में पहुंचकर वह आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (LeT) में शामिल हो गया था.
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