नई दिल्ली (New Delhi)। राफा में इजरायली हमले (Israeli attacks)में 45 मासूमों की जान जाने के बाद इजरायली प्रधानमंत्री(israeli prime minister) ने अपनी गलती कबूल (confess mistake)की है। उन्होंने कहा कि यह एक दुखद गलती थी जिसकी वजह से राफा में विस्थापित फिलिस्तीनियों की टेंट में आग लग गई। इस घटना के बाद इजरायल को एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आलोचना का सामना करना पड़ा। गाजा पट्टी में आम लोगों की मौत को लेकर इजरायल के करीबी भी आलोचना करते रहे हैं। इसमें अमेरिका भी शामिल है। वहीं बेंजामिन नेतन्याहू ने राफा में आम लोगों की मौत पर अफसोस जताने के बाद भी कसम खाई है कि युद्ध नहीं रुकेगा। नेतन्याहू ने कहा कि इजरायल सफेद झंडा तब तक नहीं लहराएगा जब तक जीत नहीं हो जाती।
बीते सप्ताह अंतरराष्ट्रीय कोर्ट ने भी कहा था कि राफा में तत्काल युद्ध रोक दिया जाए। हालांकि इजरायल ने कोर्ट का आदेश भी मानने से इनकार कर दिया। इजरायल का कहना है कि वह अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत ही आत्मरक्षा के लिए युद्ध लड़ रहा है। इजरायल ने का कहना है कि उसकी सुरक्षा के लिए हमास का पूरी तरह से खात्मा जरूरी है।
इजरायली सेना ने कहा था कि आम नागरिकों की हत्या के मामले में जांच की जाएगी। उसने कहा था कि सेना वहीं हमला करती है जहां हमास का अड्डा होता है या फिर हमास के आतंकी छिपे होते हैं। वहीं गाजा के स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार अब तक गाजा में 36 हजार लोगों की मौत हो चुकी है। गाजा में इतने ज्यादा हमास के आतंकी कभी मौजूद नहीं थे।
नेतन्याहू ने सोमवार को संसद में कहा, हमारी पूरी कोशिश रहती है कि आम नागरिकों को नुकसान ना हो। इसके बावजूद बीती रात एक दुखद गलती हो गई। टेंट में आग लगने के बाद मौके पर पहुंचे मोहम्मद अबूसा ने बताया कि वहां के हालात बयान करने लायक नहीं थे। लोगों को निकाला गया तो उनके शव जल चुके थे। बच्चों को टुकड़ों में बाहर किया गया। फिलिस्तीनी स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक इस आग में 45 लोग स्वाहा हो गए।
बताया गया कि इस आग में कम से कम महिलाओं, आठ बच्चों और तीन बुजुर्गों की मौत हो गई। वहीं तीन बच्चे ऐसी हालत में हैं जिन्हें पहचाना नहीं जा सकता। वहीं एक अलग मामले में एजिप्ट की सेना का कहना है कि गोलीबारी में इजरायल के एक सैनिक की मौत हो गई। बता दें कि राफा एजिप्ट के बॉर्डर पर स्थित गाजा का शहर है। यहां 10 लाख से ज्यादा लोग रहते हैं। कह सकते हैं कि गाजा की आधी आबादी इसी इलाके में रहती है। गाजा के हमले के बाद लोग भागकर यहां आए थे और टेंट में रह रहे हैं।
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