नई दिल्ली। भारत और कनाडा (India and Canada) के बीच तनाव एक बार फिर बढ़ गया है. कनाडा सरकार (Government of Canada) ने खालिस्तानी हरदीप सिंह निज्जर (Khalistani Hardeep Singh Nijjar) की हत्या में भारत के उच्चायुक्त के शामिल होने का आरोप लगाया है. लेकिन भारत सरकार (Government of India) ने इन आरोपों को खारिज कर दिया है. इस बीच भारत ने कनाडा से अपने उच्चायुक्त संजय कुमार वर्मा और अन्य राजनयिकों को वापस बुला लिया है. लेकिन ऐसे में सवाल उठता है कि इस पूरे घटनाक्रम का भारत-कनाडा के रिश्तों पर क्या असर होगा?
इस मामले पर पूर्व राजनयिक केपी फैबियन ने कहा कि कनाडा ने हरदीप सिंह निज्जर मामले की जांच को लेकर हमसे कहा है कि हमारा हाई कमिश्नर और दूसरे राजनयिक पर्सन ऑफ इंटरेस्ट (Person of Interest) हैं. इसका मतलब है कि RCMP यानी रॉयल कनाडियन माउंटेड पुलिस इसकी जांच कर रही है और वे हमारे हाई कमिश्नर से पूछताछ करना चाहते हैं. लेकिन ये किसी भी लिहाज से ठीक नहीं है इसलिए भारत सरकार ने अपने राजनयिकों को वापस बुलाने का फैसला लिया है.
ट्रूडो के PM रहते नहीं सुधरेंगे भारत-कनाडा के संबंध
उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच फिलहाल जो स्थिति है, वह और खराब होगी. जब तक जस्टिन ट्रूडो कनाडा के प्रधानमंत्री हैं, इस स्थिति में सुधार नहीं आएगा. कनाडा में 2025 में चुनाव हैं. ट्रूडो की लोकप्रियता भी लगातार घटती जा रही है. कनाडा की अर्थव्यवस्था भी सही हालत में नहीं है. ऐसे में अगर वहां नई सरकार सत्ता में आती है तो हमारे संबंधों में सुधार होगा. लेकिन हाल-फिलहाल में दोनों देशों के बीच संबंधों में सुधार के कोई संकेत नहीं मिलते.
लेकिन इस पूरी मौजूदा स्थिति का कनाडा में रह रहे भारतीय समुदाय पर क्या असर होगा? इसके बारे में पूछने पर फैबियन ने कहा कि इसका सबसे ज्यादा असर वहां पढ़ रहे भारतीय छात्रों पर पड़ सकता है. ऐसे छात्रों पर भी असर पड़ेगा, जो कनाडा में उच्च शिक्षा हासिल कर वहां बेहतर जिंदगी जीने का सपना देख रहे थे. एक खतरा ये भी हो सकता है कि खालिस्तानी कनाडा में हिंदुओं पर हमले कर सकते हैं. हिंदू मंदिरों को निशाना बनाया जा सकता है।
कनाडा में रह रहे 20 लाख भारतीय मूल के लोग परेशान
कनाडा में वरिष्ठ पत्रकार ताहिर गोरा ने कहा कि इस खबर से भारतीय मूल के कनाडाई नागरिक परेशान हैं. भारत और कनाडा के रिश्ते और ठंडे हो गए हैं. भारत ने कनाडा में अपने राजनयिकों से वापस आने को कहा है. दरअसल कनाडा ने भारत से कहा है कि हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के पीछे भारतीय राजनयिक पर्सन्स ऑफ इंटरेस्ट हो सकते हैं. ऐसी स्थिति में कनाडा में रह रहे तकरीबन 20 लाख भारतीय मूल के कनाडाई लोग असमंजस की स्थिति में हैं. भारतीय मुल्क के ये लोग दोनों मुल्कों से प्यार करते हैं।
गोरा ने कहा कि इन लोगों का कहना है कि आज की तारीख में भारत और कनाडा के संबंध जितने खराब हैं, उतने तो कभी कनाडा और चीन के भी नहीं रहे. कनाडा और रूस के संबंध भी कभी इतने खराब नहीं रहे जबकि कनाडा एक तरह से जंग में यूक्रेन को मदद मुहैया करा रहा है. फिर ऐसा कैसे हुआ कि भारत और कनाडा के संबंध इतने तल्ख हो गए? भारतीय मूल के कनाडाई परेशान हैं कि इस वक्त 60 से 70 हजार भारतीय छात्र पहले से ही डेप्युटेशन का सामना कर रहे हैं. कोई कह रहा है कि कनाडा में जल्द होने जा रहे चुनाव इसकी वजह है. कुछ कनाडाई नागरिकों का कहना है कि खालिस्तानियों के प्रति ट्रूडो की हमदर्दी इसकी वजह है. कई लोग इसे ट्रूडो का ईगो भी बता रहे हैं।
ट्रूडो को भारत पर, भारत को ट्रूडो पर भरोसा नहीं!
भारत-कनाडा संबंधों पर कनाडा के पत्रकार डैनियल बोर्डमैन ने कहा कि भारत-कनाडा संबंधों की मौजूदा स्थिति अभी क्रायोस्टेसिस जैसी है. मुझे लगता है कि भारतीयों ने कनाडा को एक खस्ताहाल स्थिति में डाल दिया है, जब तक हमें एक नई सरकार नहीं मिल जाती. मुझे नहीं लगता कि वे जस्टिन ट्रूडो को विश्वसनीय तौर पर देखेंगे. मुझे नहीं लगता कि ट्रूडो भारत के साथ संबंधों के लिहाज से विश्वास योग्य हैं.।
कनाडा में वरिष्ठ पत्रकार हलीमा सादिया ने कहा कि बीते कुछ सालों में भारत और कनाडा के संबंधों में बहुत उतार-चढ़ाव रहा है. ऐसे लोग जिनके लिए कनाडा ही अब उनका घर है लेकिन उनके संबंध अभी भी भारत से हैं, यह स्थिति बिगड़ने के साथ-साथ उनके लिए अब भारत लौटना मुश्किल हो सकता है.
बता दें कि भारत ने कनाडा के छह राजनयिकों स्टीवर्ट रॉस व्हीलर (कार्यकारी उच्चायुक्त), पैट्रिक हेबर्ट, मैरी कैथरीन जॉली (फर्स्ट सेक्रेटरी), इयान रॉस डेविड (फर्स्ट सेक्रेटरी), एडम जेम्स चुइपका (फर्स्ट सेक्रेटरी) और पाउला ओर्जुएला (फर्स्ट सेक्रेटरी) को निष्कासित करने का फैसला लिया है. इन्हें 19 अक्टूबर को रात 12 बजे तक भारत छोड़ देने को कहा गया है.
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