दुबई (Dubai)। सऊदी अरब (Saudi Arab ) और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) (United Arab Emirates (UAE)) के बीच इन दिनों संबंध (Relations) ठीक नहीं चल रहे हैं. दोनों देशों के राष्ट्राध्यक्ष एक दूसरे का सामना करने से बच रहे हैं. अबू धाबी (Abu Dhabi ) में इस साल जनवरी में खाड़ी देशों के नेताओं का शिखर सम्मेलन (Gulf Leaders Summit) हुआ था. इसमें मध्य-पूर्व के लगभग सभी बड़े नेता पहुंचे थे, लेकिन सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान (Prince Mohammed bin Salman) इस कार्यक्रम से नदारद रहे।
वहीं फरवरी में सऊदी अरब की राजधानी रियाद में चीन-अरब शिखर सम्मेलन का आयोजन किया गया. इस सम्मेलन में यूएई के राष्ट्रपति शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान नहीं गए, लेकिन कभी घनिष्ठ मित्र रहे ये दोनों देश आज क्यों प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं?
दोनों देशों में क्यों बढ़ रहा तनाव?
अभी भी औपचारिक रूप से सहयोगी, सऊदी अरब और यूएई विदेशी निवेश और वैश्विक तेल बाजारों में प्रभाव के लिए प्रतिस्पर्धा में लगे हैं. यानी दोनों देशों के बीच पैदा हुई इस दरार का कारण पैसा और शक्ति है. साथ ही यमन युद्ध को लेकर भी दोनों देशों की अलग-अलग राय है. यूएई मध्य-पूर्व में यमन संकट पर विराम चाहता है जबकि सऊदी अरब यमन पर हमले जारी रखने का पक्षधर है।
संयुक्त अरब अमीरात 2019 में यमन से अपने अधिकांश बलों को वापस बुला लिया, लेकिन अभी भी अपने भविष्य के बारे में चर्चा से दूर होने का डर है क्योंकि सऊदी अरब हौथी विद्रोहियों के साथ सीधी बातचीत कर रहा है। संयुक्त अरब अमीरात अपने बंदरगाहों से दुनिया के बाकी हिस्सों में समुद्री मार्गों को सुरक्षित करने के लिए लाल सागर में परियोजना शक्ति चाहता है।
एक-दूसरे के कार्यक्रमों से बना रहे दूरी
खाड़ी देशों के अधिकारियों के अुनसार, दोनों राष्ट्रों के अध्यक्ष जानबूझकर एक-दूसरे के कार्यक्रमों से दूरी बना रहे हैं. जबकि इन दोनों कार्यक्रमों में कतर, जॉर्डन, मिस्र और अन्य खाड़ी देशों के शासकों ने हिस्सा लिया था. प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के करीबी और संयुक्त अरब अमीरात के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शेख तहनून बिन जायद ने हाल ही में कई बार सऊदी की यात्रा की है, लेकिन वे भी तनाव कम करने में विफल रहे हैं।
तेल पंप करने को लेकर क्या है विवाद?
सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात के बीच बढ़े इस तनाव के दौरान ईरान तेजी से क्षेत्र में अपना दबदबा बढ़ाने की कोशिश में लगा हुआ है. रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से कच्चे तेल की कीमतों में भी बढ़ोतरी हुई है. इसके अलावा ओपेक में तेल उत्पादन को लेकर कोई फैसला नहीं हो पाया है. ओपेक के प्रतिनिधियों ने कहा पेट्रोलियम निर्यातक देशों के सऊदी नेतृत्व वाले संगठन के भीतर, यूएई ने अपने तेल राजस्व को बढ़ाने के लिए अधिक तेल पंप करने पर जोर दिया है, लेकिन सऊदी इसके लिए तैयार नहीं है।
अमीराती अधिकारियों का कहना है कि यूएई ओपेक छोड़ने के बारे में एक आंतरिक बहस चल रही है. इसे छोड़ने पर यूएई में वर्षों से चर्चा हो रही है. सऊदी अरब के साथ हाल की असहमति ने इस विचार को फिर से जगा दिया है. दुनिया के इन दो सबसे बड़े तेल उत्पादकों के बीच ऊर्जा के मुद्दों पर बंद दरवाजे के पीछे बहस भी हुई है।
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