इंदौर। भोपाल-इंदौर मेट्रो प्रोजेक्ट के पहले चरण का काम इन दिनों चल रहा है और पिछले दिनों मध्यप्रदेश मेट्रो रेल कार्पोरेशन ने रोलिंग स्टॉक यानी कोच व अन्य कार्यों के अंतर्राष्ट्रीय टेंडर बुलवाए थे, लेकिन दो कम्पनियों ने ही इसमें हिस्सा लिया। 156 कोच के लिए अल स्टॉम ट्रांसपोर्ट भारत की कम्पनी ने 3248 करोड़ तथा फ्रांस की कम्पनी बीईएमएल ने दो गुना से अधिक 4625.36 करोड़ के टेंडर भरे हैं। चूंकि कम दरों का टेंडर भी 51 फीसदी तय की गई टेंडर लागत से ज्यादा है और चूंकि निगोशिएशन का प्रावधान नहीं है, जिसके चलते फिर से टेंडर बुलाने की कवायद करना पड़ेगी। लगभग 1100 करोड़ रुपए से अधिक राशि के ये टेंडर मिले हैं, जिसमें 81 कोच भोपाल के और 75 कोच इंदौर मेट्रो प्रोजेक्ट के शामिल हैं।
अग्निबाण ने अभी दो दिन पहले ही इन टेंडरों के खुलने का खुलासा किया था, जिसमें फ्रांस के अलावा भारत सरकार के संयुक्त उपक्रम की कम्पनी भी दौड़ में शामिल रही। अभी जब दोनों कम्पनियों के टेंडर खोले गए तो पता चला कि देश की कम्पनी अलस्टॉम ट्रांसपोर्ट का टेंडर भी 51 फीसदी अधिक है, तो फ्रांस की कम्पनी बीईएमएल का टेंडर तो 100 फीसदी से भी अधिक राशि का रहा। दरअसल लोहा सहित अन्य निर्माण सामग्री में पिछले कुछ दिनों में जो तेजी से वृद्धि हुई है, उसके चलते रेलवे कोच सहित अन्य सामग्री की लागत भी बढ़ गई और मध्यप्रदेश मेट्रो रेल कार्पोरेशन ने पूर्व के स्टीमेट के आधार पर ये टेंडर बुलाए थे।
चूंकि अब अधिक राशि के टेंडर मिल गए हैं, जिनकी मंजूरी भी मुश्किल है। लिहाजा अब नए सिरे से स्टीमेट बढ़ी लागत के आधार पर तैयार कर फिर से बुलाना पड़ेंगे। 156 कोच के इन टेंडरों में जो कम दर का टेंडर मिला है उसमें भी 2145 करोड़ की तुलना में 51 फीसदी अधिक राशि जो कि 3248 करोड़ होती है, का प्राप्त हुआ है, जबकि फ्रांस की कम्पनी ने तो दो गुना से भी अधिक राशि के टेंडर भरे हैं। अलस्टॉम में पिछले दिनों चेन्नई मेट्रो के लिए भी 78 कोच के लिए टेंडर भरा और उसमें भी उसकी दर न्यूनतम ही रही। दरअसल देश में एकमात्र यही कम्पनी मेट्रो कोच सहित अन्य सामग्री बनाती है। इसके अलावा फ्रांस और जर्मनी की कम्पनियां ही अभी तक इस क्षेत्र में अग्रणी रही है।
अभी मध्यप्रदेश मेट्रो रेल कार्पोरेशन ने जो फाइनेंशियल टेंडर खोले, उसमें इंदौर मेट्रो के पहले चरण में लगने वाले 75 कोच और भोपाल मेट्रो के लिए 81 कोच शामिल रहे हैं। इसके साथ सिग्नलिंग और ट्रेन कंट्रोल तथा टेली कम्यूनिकेशन सिस्टम भी रहेगा और 7 साल तक इसका रख-रखाव भी टेंडर लेने वाली कम्पनी को ही करना पड़़ेगा। मेट्रो प्रोजेक्ट से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि चूंकि निगोशिएशन का प्रावधान खत्म कर दिया है और न्यूनतम टेंडर भी 51 फीसदी अधिक राशि के मिले हैं, लिहाजा अब नए सिरे से ही टेंडर की कवायद करना पड़ेगी। इन 156 कोच के लिए कॉर्पोरेशन ने 2145 करोड़ का स्टीमेट बनाते हुए ये टेंडर बुलाए थे, लेकिन अलस्टॉम ट्रांसपोर्ट ने 3248 करोड़ और फ्रांस की बीईएमएल ने 4625.36 करोड़ के टेंडर दिए हैं। अब नए सिरे से अंतर्राष्ट्रीय टेंडर की कवायद के चलते इस कार्य में और विलंब होगा।
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