मामला स्वास्थ्य विभाग में उजागर हुए घोटाले का, कलेक्टर की बनाई जांच कमेटी ने जब्त किए कई दस्तावेज व रिकॉर्ड, गुलजार पर ही रही विशेष मेहरबानी
इंदौर। कलेक्टर मनीष सिंह (Collector Manish Singh) ने स्वास्थ्य विभाग (Health Department) के आशा डायरी घोटाले (Asha Diary Scam) की जांच शुरू करवाई और चार अधिकारियों की जांच कमेटी भी गठित कर दी, जिसमें कल कई दस्तावेज और रिकॉर्ड (Records) जब्त भी किए। प्रथम दृष्ट्या 5 से 6 करोड़ रुपए से ज्यादा की सामग्री सप्लाय बिना टेंडर मिलीभगत से करने की जानकारी सामने आई है। इस पूरे मामले में शाहरुख (Shahrukh) उर्फ गुलजार का ही नाम चर्चा में रहा है, जिसकी इंदौर (Indore) से लेकर भोपाल (Bhopal) तक तगड़ी सांठगांठ रही और इंदौर के साथ-साथ आसपास के एक दर्जन से ज्यादा जिलों में प्रिंटिंग, स्टेशनरी, कम्प्यूटर, दवाइयों से लेकर तमाम खरीदी के ठेके उसकी बनाई फर्मों को ही मिलते रहे।
अभी समय सीमा की बैठक में कलेक्टर मनीष सिंह (Collector Manish Singh) ने स्वास्थ्य विभाग की समीक्षा करते हुए आशा डायरी में हुई गड़बडिय़ों की जांच करने के निर्देश दिए और स्टोर प्रभारी व उसके सहायक को तुरंत निलंबित भी कर दिया, जिसमें से एक को कलेक्टर कार्यालय में ही अटैच किया गया है। वहीं अपर कलेक्टर डॉ. अभय बेड़ेकर के नेतृत्व में जांच कमेटी भी गठित कर दी, जिसमें उपायुक्त सहकारिता मदन गजभिये, एसडीएम रवि वर्मा और कोषालय अधिकारी भी शामिल हैं। जांच कमेटी ने कल स्वास्थ्य विभाग के दफ्तर पर छापेमारी की और आदेश, भुगतान से लेकर सप्लाय की गई सामग्रियों से संबंधित फाइलें, दस्तावेज खंगालना शुरू किए और कई रिकॉर्ड अपने कब्जे में भी ले लिए। यह भी जानकारी सामने आई कि राज्य सहकारी संघ के माध्यम से ही ये खरीदी की जाती है, जिसके चलते विभागीय अधिकारियों ने ऐसा मान लिया कि इन सामग्रियों के लिए टेंडर बुलाने की जरूरत नहीं है और संघ ने जो रेट तय किए हैं उसी पर सप्लायरों को ठेका दे दिया जाए। नतीजतन दवाइयों से लेकर मेडिकल उपकरण, ग्लब्स, प्रिंटिंग, स्टेशनरी से लेकर तमाम तरह की सामग्री धड़ल्ले से खरीदी गई। बीते दो सालों की जांच भी चूंकि कलेक्टर अभी करवा रहे हैं और उसी में प्रथम दृष्ट्या 5 से 6 करोड़ रुपए की इस तरह की गई खरीदी के प्रमाण मिल रहे हैं। इनमें अधिकांश खरीदी चर्चित सप्लायर गुलजार के माध्यम से ही करवाई गई, जिसका कि एक दर्जन से ज्यादा जिलों में कामकाज फैला है। स्वास्थ्य विभाग के स्थानीय अधिकारियों से लेकर भोपाल के आला अधिकारियों और नेताओं से उसकी तगड़ी मिलीभगत है, जिसके चलते उसकी बनाई फर्मों को ही सामग्री सप्लाय के लगातार ठेके मिलते रहे। बीते 10-12 सालों से गुलजार का ही वर्चस्व स्वास्थ्य महकमे में रहा और शुरुआत में छोटी-मोटी सामग्रियां सप्लाय करने के बाद उसने सभी बड़े काम भी लेना शुरू कर दिए। अभी आशा डायरी घोटाला उजागर होने पर महकमे में खलबली भी मची है। 8 से 10 गुना ज्यादा कीमत पर ये डायरियां खरीदी गई। हालांकि सीएमएचओ डॉ. बीएस सैत्या का कहना है कि विभाग ने आशा डायरी का ऑर्डर मध्यप्रदेश उपभोक्ता भंडार भोपाल को ही दिया गया। किसी व्यक्ति विशेष को नहीं। अब भोपाल से यह ऑर्डर किसे मिला, इसकी जानकारी हमारे पास नहीं है। दरअसल यह पूरा मामला आपसी मिलीभगत का ही है।
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