उज्जैन। शहर को आवारा श्वानों के आतंक से निजात दिलाने के लिए नगर निगम इस बार भी अभियान चलाएगा। इसको लेकर टेंडर जारी किया गया है जो 29 जुलाई को खुलेगा। उल्लेखनीय है कि आवारा श्वानों को पकडऩे और उनकी नसबंदी करने पर नगर निगम द्वारा हर साल में 35 लाख रुपए खर्च किए जा रहे हैं, फिर भी शहर में आवारा कुत्तों का आतंक कम नहीं हो रहा है। प्रतिदिन 15 से 20 लोग डॉग बाइट का शिकार होकर अस्पतालों में रैबीज के इंजेक्शन लगवाने पहुँच रहे हैं।
निगम का पशु अमला और 35 लाख में डॉग की नसबंदी का ठेका लेने वाली एजेंसी के कर्मचारी दिनभर में सिर्फ 5 से 6 कुत्ते पकड़कर उसी क्षेत्रों में छोड़ रहे हैं। उनके पास श्वानों के नसबंदी किए जाने का भी कोई प्रमाण नहीं है। वर्तमान एजेंसी का ठेका दो माह बाद सितंबर माह में समाप्त हो जाएगा, इसको लेकर इस साल फिर से ऑनलाइन टेंडर निकाला गया है। इच्छुक एजेंसी यदि आती है तो उसे अनुबंध पर साल भर का काम सौंपा जाएगा। हर बार की तरह इस बार भी नगर निगम द्वारा कुत्ते पकडऩे और उसकी नसबंदी पर 35 लाख रुपए खर्च किए जाएँगे। बता दें कि पिछले सितंबर महीने में भोपाल की एक संस्था को नगर निगम ने श्वानों की नसबंदी का ठेका दिया था। नसबंदी की संख्या बढ़ाने के लिए नगर निगम की ओर से कुत्ता घर पर ऑपरेशन थियेटर और बढ़ाए गए लेकिन कुत्तों के काटने की घटनाएँ आज तक कम नहीं हुई। वहीं श्वानों की संख्या कम होने की वजह हर साल बढ़ती जा रही हैं। बावजूद नगर निगम के अधिकारी इस पर ध्यान नहीं दे रहे हैं।
आंकड़ों पर एक नजर
- वर्तमान में नगर निगम सीमा में आवारा श्वानों की संख्या करीब 35 हजार
- पिछले पाँच सालों में 16 हजार श्वानों की हो चुकी है नसबंदी
- सितंबर 2023 से 25 जुलाई तक 2500 श्वानों की हुई नसबंदी