भोपाल। भादौ मास की पूर्णिमा पर दो सितंबर से महालय श्राद्ध की शुरुआत होगी। इस बार श्राद्घ पक्ष का आरंभ बुधादित्य योग के साथ हो रहा है। सर्वपितृ अमावस्या पर पक्ष काल का समापन शुभयोग के संयोग में होगा। सोलह दिवसीय श्राद्घ में 10 दिन अमृतसिद्घि, सर्वार्थसिद्घि योग तथा पुष्य नक्षत्र का विशिष्ट संयोग भी रहेगा। धर्मशास्त्र के जानकारों के अनुसार शुभ संयोगों की साक्षी में पितरों का श्राद्घ करने से वंशवृद्घि, शुभ कार्यों को प्रगति मिलेगी। मांगलिक कार्यों में आ रहे अवरोध दूर होंगे।हालांकि कुछ पंडित इसकी शुरुआत एक सितंबर से बता रहे हैं। ज्योतिषाचार्य पं.अमर डब्बावाला के अनुसार इस बार श्राद्घ पक्ष में किसी भी तिथि का क्षय नहीं है। पूर्णिमा से सर्वपितृ अमावस्या तक सोलह दिवसीय श्राद्घ पक्ष में पूर्ण तिथियां रहेंगी। महालय श्राद्घ पक्ष का आरंभ 2 सितंबर को बुधादित्य योग में होगा। बुधादित्य योग में बुध तथा सूर्य की युति सिंह राशि में रहेगी। धर्मशास्त्र व पौराणिक मान्यता से देखें तो पितरों का पृथ्वी पर आगमन सिंह राशि के सूर्य से तुला राशि के सूर्य पर्यंत रहता है। इस समय पितृ अर्थात पूर्वज अपने अग्रजों की ओर देखते हैं तथा जल व पिंड दान की आशा करते हैं। घर में सुख, शांति, समृद्घि तथा पितरों की प्रसन्नता व पदवृद्घि के लिए श्राद्घ पक्ष में पितरों का श्राद्घ करना आवश्यक माना गया है।
तिथि अनुसार करें श्राद्ध
पं.डब्बावाला ने बताया पितरों को मृत्यु के एक, तीन, पांच, सात, नौ तथा ग्याराह वर्ष के भीतर श्राद्घ में लेना चाहिए। जिस तिथि पर व्यक्ति की मृत्यु हुई है, उसी तिथि पर उन्हें श्राद्घ में लेना चाहिए। इसके बाद प्रतिवर्ष श्राद्घ पक्ष में तिथि के दिन ही श्राद्घ करने का विधान बताया गया है।
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