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    मध्य प्रदेश के पुलिस थानों में नहीं बनेंगे मंदिर, हाईकोर्ट ने क्यों किया ये आदेश जारी

  • November 05, 2024

    भोपाल: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) हाईकोर्ट (High Court) में पुलिस थानों (Police Stations) में बनाए जा रहे मंदिरों (Temples) को लेकर जनहित याचिका दायर की गई है. याचिका पर चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत एवं जस्टिस विवेक जैन की युगलपीठ ने सुनवाई करते हुए मध्य प्रदेश के सभी पुलिस थानों में बनाए जा रहे मंदिरों के निर्माण पर रोक लगा दी है. साथ ही युगलपीठ ने संबंधित अनावेदकों को नोटिस जारी कर जबाब मांगा है. मामले में अगली सुनवाई 19 नवंबर को होगी.

    जानकारी के मुताबिक, मध्य प्रदेश के पुलिस थाना परिसर में किये जा रहे मंदिर निर्माण को लेकर चुनौती देते हुए जबलपुर निवासी एडवोकेट ओपी यादव की ओर से एक जनहित याचिका हाईकोर्ट में दायर की गई है. जिस पर सोमवार को सुनवाई हुई. हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत एवं जस्टिस विवेक जैन की युगलपीठ ने थानों में मंदिर निर्माण पर रोक लगा दी है. युगलपीठ ने मुख्य सचिव मध्य प्रदेश, प्रमुख सचिव गृह विभाग मध्य प्रदेश, नगरीय प्रशासन मध्य प्रदेश, डीजीपी मध्य प्रदेश, कलेक्टर जबलपुर एवं पुलिस अधीक्षक जबलपुर सहित जिले के चार पुलिस थाना जिसमे सिविल लाइंस, विजय नगर, मदन महल और लार्डगंज को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. मामले की अगली सुनवाई 19 नवंबर को नियत की है.


    जबलपुर निवासी एडवोकेट ओपी यादव की ओर से दाखिल याचिका में सार्वजनिक स्थानों पर धार्मिक स्थलों के निर्माण पर प्रतिबंध की मांग की गई है. याचिका के अनुसार, सर्वोच्च न्यायालय ने पहले ही सार्वजनिक स्थलों पर धार्मिक निर्माण पर रोक का आदेश दिया था, जिसमें पुलिस थाने भी शामिल हैं. फिर भी, मध्य प्रदेश के कई थानों में मंदिरों का निर्माण कराया जा चुका है या हो रहा है, जो सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का खुलेआम उल्लंघन है, जिस पर तुरंत रोक लगनी चाहिए.

    जनहित याचिका में जबलपुर जिले के चार थानों में बने मंदिरों की तस्वीरें संलग्न की गई हैं जिसमें सिविल लाइंस, मदन महल, लार्डगंज, सहित विजय नगर है और मांग की गई है कि थाना परिसरों से सभी मंदिरों को तुरंत हटाया जाए. इसके साथ ही याचिकाकर्ता के द्वारा बताया गया है कि मध्य प्रदेश में जितने भी नए पुलिस थाना बनाए जा रहे हैं उन सब में मंदिरों का निर्माण किया जा रहा है. इसके अतिरिक्त, संबंधित थाना प्रभारियों के खिलाफ सिविल सर्विस नियमों के तहत कार्रवाई की मांग भी याचिकाकर्ता के द्वारा की गई है. याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई के बाद युगलपीठ ने, अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता सतीश वर्मा, अमित पटेल और ग्रीष्म जैन ने पक्ष रखा.

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