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    मंदिर कोई पिकनिक स्पॉट नहीं हैं, ध्वजस्तंभ से आगे न जाएं गैर-हिंदू; हाईकोर्ट का सरकार को निर्देश

  • January 31, 2024

    नई दिल्‍ली (New Dehli)। मद्रास हाईकोर्ट (Madras High Court)ने मंगलवार को तमिलनाडु के मंदिरों में गैर-हिंदुओं (non-hindus)के प्रवेश को लेकर बेहद अहम निर्देश (important instructions)दिया। कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार के हिंदू धर्म और धमार्थ बंदोबस्ती विभाग (HR&CE) को सभी हिंदू मंदिरों में बोर्ड (boards in hindu temples)लगाने का निर्देश दिया जिसमें लिखा हो कि गैर-हिंदुओं को मंदिरों में ‘कोडिमारम’ (ध्वजस्तंभ) क्षेत्र से आगे जाने की अनुमति नहीं है। अदालत ने कहा कि हिंदुओं को भी अपने धर्म को मानने और उसका पालन करने का अधिकार है।


    हाईकोर्ट की मदुरै पीठ की न्यायमूर्ति एस श्रीमति ने डी. सेंथिल कुमार की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह फैसला दिया। सेंथिल कुमार ने प्रतिवादियों को अरुल्मिगु पलानी धनदायुतपानी स्वामी मंदिर और उसके उप मंदिरों में केवल हिंदुओं को जाने की अनुमति का निर्देश देने का अनुरोध किया था। उन्होंने मंदिरों के सभी प्रवेश द्वार पर इस संबंध में बोर्ड भी लगवाने का निर्देश का अनुरोध किया था। भगवान मुरुगन मंदिर दिंडीगुल जिले के पलानी में स्थित है।

    अदालत ने याचिका स्वीकार करते हुए प्रतिवादियों को मंदिरों के प्रवेश द्वार, ध्वजस्तंभ के समीप और मंदिर में प्रमुख स्थानों पर बोर्ड लगाने के निर्देश दिए जिसमें यह लिखा हो कि ‘गैर-हिंदुओं को मंदिर के भीतर कोडिमारम के आगे जाने की अनुमति नहीं है।’’ अदालत ने कहा, “यह निर्देश दिया जाता है कि उन गैर-हिंदुओं को अनुमति न दें जो हिंदू धर्म में विश्वास नहीं करते हैं। अगर कोई गैर-हिंदू मंदिर में विशेष देवता के दर्शन करने का दावा करता है, तो सरकार को उक्त गैर-हिंदू से यह वचन लेना होगा कि उसे देवता में विश्वास है और वह हिंदू धर्म के रीति-रिवाजों और प्रथाओं का पालन करेगा। मंदिर के रीति-रिवाजों और ऐसे वचन के साथ गैर-हिंदू को मंदिर में जाने की अनुमति दी जा सकती है।

    कोर्ट ने कहा, “सभी धर्मों से संबंधित लोगों को अपने धर्म को मानने और उसका पालन करने का अधिकार है। लेकिन उनके धर्म के रीति-रिवाजों और प्रथाओं में हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता है। इस तरह के किसी भी हस्तक्षेप को कम किया जाना चाहिए। मंदिर कोई पिकनिक स्पॉट या पर्यटक स्थल नहीं है। यहां तक कि तंजावुर स्थित अरुलमिघु ब्रहदेश्वर मंदिर में भी अन्य धर्म के लोगों को मंदिर के स्थापत्य स्मारकों को देखने की अनुमति है, लेकिन कोडिमाराम (ध्वजस्तंभ) से आगे नहीं है।

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