जम्मू-कश्मीर: केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में मंदिर संपत्तियों के अवैध पट्टे और संपत्तियों की बिक्री मामले की जांच अब एसआईटी करेगी. जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने इस संबंध में आदेश जारी कर दिया है. कश्मीर के डिविजनल कमिश्नरकी ओर से यह आदेश जेके पीस फोरम की ओर से उपलब्ध कराए गए सबूतों और जांच के अनुरोध के बाद दिया गया है.
जेके पीस फोरम ने कहा कि पिछले 33 सालों से किसी भी सरकार ने कश्मीर के अल्पसंख्यकों की मंदिर संपत्तियों की रक्षा के लिए कोई पहल नहीं की. यहां तक कि कोर्ट के बार-बार आदेश के बावजूद मंदिर की संपत्तियों को अवैध रूप से लीज पर दिया जा रहा है. एनजीओ ने कहा कि जम्मू-कश्मीर की पिछली सरकारें कश्मीर में हिंदू अल्पसंख्यक के मंदिरों की संपत्तियों की रक्षा करने में विफल रही है.
फोरम ने दावा किया कि कई जिलों में मंदिर की संपत्तियों को अवैध रूप से बेच दिया गया है या फिर उन्हें पट्टे पर दे दिया गया है. उन्होंने आगे कहा कि घाटी में कश्मीरी पंडितों की अनुपस्थिति में जम्मू-कश्मीर सरकार के अधिकारियों की मिलीभगत से 1989 से 2022 के बीच निष्क्रिय मंदिर ट्रस्टों का संचालन किया गया और मंदिर संपत्तियों को या तो बेच दिया या फिर पट्टे पर दे दिया.
पीस ने प्रशासन के सामने दिया था कोर्ट के फैसले का हवाला
जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट के फैसले के हवाला देते हुए फोरम ने कहा कि अदालत ने अपने फैसले मंदिर की संपत्ति की सुरक्षा को जरूरी माना था. कोर्ट ने कहा था कि मंदिर के लाभ और जनता के व्यापक हित को ध्यान में रखते हुए मंदिर की संपत्ति को संरक्षित करने की आवश्यकता है.
क्या कहा था हाई कोर्ट ने?
आगे कहा गया था कि मंदिर की संपत्ति को अतिक्रमण और अवैध पट्टे से संरक्षित किया जाना चाहिए. इसके साथ-साथ हाई कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर प्रशासन और राजस्व विभाग से मंदिर की संपत्तियों के संबंध में कोई भी फर्द जारी नहीं करने का भी निर्देश दिया था.
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