नई दिल्ली । देश के करीब 70 प्रतिशत हिस्से की 80 फीसदी आबादी भीषण गर्मी से झुलस रही है। आने वाले समय में गर्मी और परेशानी बढ़ाएगी। मई में तापमान 48 डिग्री तक पहुंच सकता है।
इसके साथ ही 10 राज्यों उत्तर प्रदेश, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, बिहार, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात और झारखंड के लिए अलर्ट जारी किया गया है।
भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) के अनुसार, भारत गर्मी के भीषण दौर से गुजर रहा है। आईएमडी वैज्ञानिक आरके जेनामणि ने बताया कि यूपी, राजस्थान, दिल्ली, हरियाणा व ओडिशा के कुछ हिस्सों में तो तापमान 45 डिग्री से ज्यादा पहुंच गया है। देश के बड़े हिस्से में अगले पांच दिनों तक लू का प्रकोप रहेगा।
इसके बाद के अगले तीन दिनों तक तापमान करीब 2 डिग्री बढ़ेगा। फिर थोड़ी राहत मिलने की उम्मीद है। आईएमडी ने कहा कि मई के पहले सप्ताह तक हालात गंभीर बने रहने की आशंका है। हालांकि, इसके बाद दूसरे सप्ताह से बारिश होने का अनुमान है, जिससे लोगों को गर्मी और लू के थपेड़ों से राहत मिल सकती है।
जिस झांसी में बीते 10 वर्षों में अधिकतम तापमान 45 के पार नहीं गया था, वहां 27 व 28 अप्रैल को दिन का तापमान 45.6 डिग्री रिकॉर्ड किया गया। यहां सर्वाधिक 46.2 डिग्री तापमान 17 अप्रैल 2010 को रिकॉर्ड किया गया था। कानपुर में बृहस्पतिवार को पारा 45.8 डिग्री तक पहुंच गया। यहां नौ साल पहले 30 अप्रैल 2013 को अधिकतम पारा इतना ही दर्ज हुआ था। प्रयागराज में पारा 45.9 डिग्री दर्ज हुआ।
राहत की उम्मीद : मई के दूसरे हफ्ते से बारिश संभव
आईएमडी ने कहा कि मई के पहले सप्ताह तक हालात गंभीर बने रहने की आशंका है। हालांकि, इसके बाद दूसरे सप्ताह से बारिश होने का अनुमान है, जिससे लोगों को गर्मी और लू के थपेड़ों से राहत मिल सकती है।
विभाग ने राजस्थान, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के विदर्भ इलाके के लिए अगले चार दिनों तक ऑरेंज अलर्ट जारी किया है।
दिल्ली@43.5 डिग्री : टूटा 12 साल का रिकॉर्ड
दिल्ली का अधिकतम तापमान बुधवार को 43.5 डिग्री रहा। यह 12 साल में सबसे ज्यादा है। इससे पहले 18 अप्रैल, 2010 को यह 43.7 डिग्री था। शुक्रवार को अधिकतम तापमान 44 डिग्री तक पहुंच सकता है।
50 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से धूलभरी आंधी भी चल सकती है। बूंदा-बांदी से राहत मिलने की उम्मीद है।
मार्च 122 साल में सबसे ज्यादा गर्म
मौसम विभाग के मुताबिक, इस साल मार्च 122 साल में सबसे ज्यादा गर्म रहा। इस दौरान 71% कम बारिश हुई। गेहूं की पैदावार में 35% तक की गिरावट देखी गई।
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