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    फरवरी में ही मार्च जैसा तापमान, दिल्ली समेत कई राज्यों में दिखने लगा गर्मी का असर

  • February 19, 2023

    नई दिल्ली (New Delhi) । देश में फरवरी महीने (february month) में ही मौसम का मिजाज मार्च जैसा हो चला है। भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) के अनुसार देश के सात राज्यों में पारे की चाल मार्च मध्य में रहने वाले तापमान के बराबर है। ओडिशा और हिमाचल प्रदेश में वर्ष 1918 से 2000 के बीच 18 मार्च को रहने वाले तापमान ने फरवरी के दूसरे सप्ताह में ही अपना रंग दिखा दिया है। इसी तरह गुजरात और राजस्थान (Gujarat and Rajasthan) में 17, छत्तीसगढ़ में 15, झारखंड 14 और पंजाब में 12 मार्च को रहने वाला अधिकतम तापमान फरवरी में ही दस्तक दे चुका है।

    दिल्ली लगातार हो रही गरम
    मौसम विभाग (weather department) का अनुमान है कि सोमवार तक दिल्ली का अधिकतम तापमान 32 डिग्री सेल्सियस तक जा सकता है। इस साल फरवरी में दिल्ली का अधिकतम पारा 29.8 डिग्री सेल्सियस दर्ज हो चुका है। दिल्ली में 17 फरवरी 2006 को अधिकतम तापमान 34.1 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था। शनिवार को दिल्ली का न्यूनतम पारा 11.7 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। 21 फरवरी तक ये 14 डिग्री तक जा सकता है।

    भुज में टूटा 71 साल का रिकॉर्ड
    मौसम विभाग के अनुसार ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर (Bhubaneswar) में फरवरी 1963 में पारा 42.7 डिग्री सेल्सियस चला गया था। फरवरी में अधिकतम तापमान 35.4 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया है। कयास लगाया जा रहा है कि महीने के अंत तक 1963 का रिकॉर्ड टूट सकता है। गुजरात के भुज में 71 साल में पहली बार बृहस्पतिवार को पारा 40.3 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया है। इसी तरह फरवरी में दस दिन राजस्थान के 17 शहरों में पारा 30 डिग्री से अधिक दर्ज हुआ है।


    पारे की चाल बता रही बढ़ेगी गर्मी
    मौसम विभाग के अनुसार 16 फरवरी को खत्म हुए सप्ताह में देश का औसत अधिकतम तापमान 27.52 डिग्री सेल्सियस था। 1981 से 2010 के बीच इस वक्त के तापमान की तुलना में ये 0.39 डिग्री सेल्सियस अधिक है। 1951 के बाद 23वां सबसे गर्म सप्ताह था। पिछले वर्ष इस सप्ताह औसत अधिकतम तापमान 25.4 डिग्री सेल्सियस था। 1951 के बाद 50वां सबसे गर्म सप्ताह था। पारे की चाल बताती है कि गर्मी पिछले साल की तुलना में तेजी से बढ़ रही है।

    कुछ राज्यों में ज्यादा ही गर्मी
    आईएमडी के आंकड़ों से पता चलता है कि तापमान का राष्ट्रीय औसत अपने पीछे कुछ छिपा भी रहा है। देश के अन्य राज्यों की तुलना में आंध्र प्रदेश, तेलंगाना औ महाराष्ट्र में गर्मी फरवरी से ही सितम बरपाने लगी है। 16 फरवरी को खत्म हुए सप्ताह के आंकड़ों के अनुसार 1951 के बाद महाराष्ट्र गर्मी के मामले में पहले, तेलंगाना दूसरे और महाराष्ट्र तीसरे नंबर पर है।

    गर्मी के आगोश में ये राज्य
    आंकड़ों के अनुसार वर्ष 1951 की तुलना में देश के दस राज्य आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र, राजस्थान, गुजरात, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, केरल, ओडिशा और मिजोरम गर्मी के आगोश में हैं। इसी तरह पंजाब, दिल्ली, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, झारखंड और तमिलनाडु में 16 फरवरी को खत्म हुआ सप्ताह 1951 के बाद सबसे गर्म रहा है।

    फसलों को होगा भारी नुकसान
    गर्मी में बढ़ोतरी से फसलें बुरी तरह प्रभावित होंगी। किसानों की आय और महंगाई पर असर दिखेगा। फरवरी में तापमान में तेजी का स्पष्ट मतलब है कि मार्च में ये और अधिक होगी। गेहूं की फसल को अधिक नुकसान होगा। गेंहू का तीसरे सबसे बड़े उत्पादक पंजाब में पिछले सप्ताह एक दिन औसत अधिकतम तापमान मार्च के मध्य में रहने वाले तापमान के बराबर था।

    आगे भी राहत के आसार नहीं
    मौसम विभाग ने इस सप्ताह 16 फरवरी को अनुमान लगाया था कि मौसम के मिजाज में अगले दो सप्ताह तक कोई बदलाव नहीं होगा। मौसम का मिजाज ऐसे ही रहता है तो फसलों को सबसे अधिक नुकसान होगा और गेंहू की सफल सबसे अधिक प्रभावित होगी। आंकड़े यही बताते हैं कि फरवरी में जैसी गर्मी पड़ रही है, मार्च में इसका दायरा और बड़ा होगा।

    बढ़ती गर्मी के पांच अनुमानति कारण
    1.सर्दियों के दौरान या दिसंबर में बारिश का न होना या कम होना।
    2.नमी और आद्रता कम होने के कारण मौसम का मिजाज तीखा है।
    3.प्रदूषण के स्तर में बढ़ोतरी के कारण वातावरण में गर्मी बढ़ रही है।
    4.जलवायु परिवर्तन और पिघलते ग्लेशियर भी चढ़ते पारे का कारण।
    5.ऊर्जा की खपत में बढ़ोतरी और वाहनों की संख्या में बड़ा इजाफा।

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