नई दिल्ली (New Delhi) । दक्षिणी राज्य तेलंगाना (Telangana) में चुनावी हवा को लेकर नई कयासबाजी शुरू हो गई है। ऐसा माना जा रहा है कि राज्य के चुनावी नतीजे चौंकाने वाले हो सकते हैं। इसकी वजह से मुकाबला त्रिकोणीय नजर आ रहा है। माना जा रहा था कि बीआरएस (BRS) की तीसरी बार जीत तय है। लेकिन, ज्यों-ज्यों चुनाव की तिथि नजदीक आती जा रही है, वहां हार-जीत के नए समीकरण बनते दिख रहे हैं। राज्य में करीब एक तिहाई सीटों पर चुनावी संघर्ष बीआरएस, कांग्रेस और भाजपा (Congress and BJP) के बीच त्रिकोणीय होता दिख रहा है।
कांग्रेस 70-75 सीटों पर मजबूत स्थिति में
सूत्रों की मानें तो कांग्रेस कुल 119 में से करीब 70-75 सीटों पर मजबूत स्थिति में चुनाव लड़ रही है यानी इन सीटों में पर वह कड़े मुकाबले में है। जबकि भाजपा हैदराबाद और उसके आसपास की तीन दर्जन दर्जन सीटों पर अच्छा प्रदर्शन कर रही है। इससे इन सीटों में संघर्ष त्रिकोणीय होता भी दिख रहा है। यदि भाजपा इन सीटों पर 15 फीसदी या इससे अधिक मत हासिल करने में सफल रहती है तो इसका फायदा बीआरएस को होगा और कांग्रेस को नुकसान होगा, क्योंकि बीआरएस के खिलाफ जाने वाले मत कांग्रेस की बजाय भाजपा को जाएंगे। लेकिन, यदि भाजपा का प्रदर्शन कमजोर रहा तो कांग्रेस को इसका सीधा फायदा हो सकता है।
कांटे की टक्कर
राजनीति के जानकार चुनाव नतीजों को दो तरीकों से देख रहे हैं। एक बीआरएस एवं कांग्रेस के बीच में सीधे मुकाबले के तौर पर जिसमें दोनों दलों में कांटे की टक्कर हो सकती है। दूसरे, भाजपा यदि तीसरे बड़े दल के रूप में सामने आती है तो फिर बीआरएस सबसे बड़े दल के रूप में तो आ सकती है, लेकिन बिना किसी मदद के उसके लिए सरकार बनाना मुश्किल हो सकता है। ऐसे में उसे किसी छोटे दल की मदद लेनी पड़ सकती है।
शहरी सीटों पर भाजपा की पकड़ मजबूत
कांग्रेस की तरफ से हालांकि बीआरएस-भाजपा के रिश्तों को हमेशा प्रचारित किया जाता रहा है। लेकिन, भाजपा से जुड़े सूत्र स्पष्ट करते हैं कि यदि चुनाव के बाद बीआरएस को सरकार बनाने में मदद की जरूरत होती तो भाजपा इसके लिए कतई तैयार नहीं होगी। यह भी माना जा रहा है कि यदि हैदराबाद की सीटों पर भाजपा अच्छा प्रदर्शन करती है तो इससे एमआईएम को झटका लगेगा। पिछले चुनाव में उसने सात सीटें जीती थी। शहरी सीटों पर भाजपा ने अपनी पकड़ मजबूत बनाई है।
कांग्रेस का चुनाव प्रबंधन पहले की तुलना में बेहतर
उधर, कांग्रेस की स्थिति बेहतर बनाने के पीछे कई कारण हैं। कर्नाटक में सरकार होने की वजह से चुनाव प्रबंधन पहले की तुलना में बेहतर हुआ है। इस बार ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ रही है। सरकार विरोधी लहर को भुना रही है। दक्षिण में राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा का भी असर है। वह तेलंगाना के गठन का श्रेय भी ले रही है।
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