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परिसीमन के मुद्दे पर स्टालिन की राह पर तेलंगाना के CM रेड्डी, असेंबली में प्रस्ताव कराया पारित

  • March 28, 2025

    हैदराबाद। तमिलनाडु (Tamil Nadu) के पड़ोसी राज्य तेलंगाना (Neighboring state Telangana) के मुख्यमंत्री ए रवंत रेड्डी (Chief Minister A.Ravanth Reddy) ने भी परिसीमन के मुद्दे (Delimitation issues) पर DMK चीफ और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन (Chief Minister MK Stalin) की राह पकड़ ली है। तेलंगाना विधानसभा ने बृहस्पतिवार को एक प्रस्ताव पारित किया जिसमें कहा गया है कि लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन के लिए जनसंख्या को एकमात्र पैमाना नहीं बनाया जाना चाहिए। प्रस्ताव पेश करने वाले मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने दावा किया कि यदि जनसंख्या के आधार पर परिसीमन किया जाता है तो लोकसभा की सीट संख्या में दक्षिणी राज्यों का प्रतिनिधित्व 24 प्रतिशत से घटकर 19 प्रतिशत रह जाने की आशंका है।


    उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का नाम लिए बगैर आरोप लगाया कि केंद्र में सत्तारूढ़ पार्टी लोकसभा में दक्षिणी राज्यों का प्रतिनिधित्व कम करके केंद्र सरकार के गठन में उन्हें अप्रासंगिक बनाने की स्थिति पैदा करने की कोशिश कर रही है। उन्होंने तेलंगाना के सभी दलों से राज्य के हितों की रक्षा के लिए केंद्र से मिलकर बात करने की अपील की। ​​उन्होंने कहा, ‘‘अगर केंद्र (हमारे मुद्दे पर) एकमत है तो ठीक है, अन्यथा हमें संघर्ष करना होगा।’’ तेलंगाना विधानसभा के अध्यक्ष जी. प्रसाद कुमार ने प्रस्ताव पारित होने की घोषणा की।

    प्रस्ताव में क्या कहा गया है?
    इस प्रस्ताव में कहा गया है, “यह सदन इस बात पर गहरी चिंता व्यक्त करता है कि हितधारकों के साथ पारदर्शी परामर्श किए बिना ही आसन्न परिसीमन की योजना बनाई जा रही है।” निष्पक्ष और समावेशी दृष्टिकोण का आह्वान करते हुए प्रस्ताव में इस बात पर जोर दिया गया कि किसी भी परिसीमन प्रक्रिया में न्यायपूर्ण प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने के लिए सभी राज्य सरकारों, राजनीतिक दलों और हितधारकों को शामिल किया जाना चाहिए।

    प्रस्ताव में इस बात पर जोर देते हुए कहा गया है, “सदन आग्रह करता है कि किसी भी परिसीमन अभ्यास को पारदर्शी तरीके से और सभी राज्य सरकारों, सभी राजनीतिक दलों और सभी हितधारकों के साथ व्यापक परामर्श के बाद किया जाना चाहिए।” इसमें एक प्रमुख तर्क यह उठाया गया कि जिन राज्यों ने जनसंख्या नियंत्रण उपायों को प्रभावी ढंग से लागू किया है, उन्हें कम जनसंख्या हिस्सेदारी के कारण प्रतिनिधित्व में कमी का सामना नहीं करना चाहिए।

    42वें, 84वें और 87वें संविधान संशोधनों की भी चर्चा
    प्रस्ताव में यह भी कहा गया कि 42वें, 84वें और 87वें संविधान संशोधनों की मंशा और उद्देश्य राष्ट्रीय जनसंख्या स्थिरीकरण था,लेकिन वह अभी तक पूरी तरह साकार नहीं हो पाई है। वैकल्पिक दृष्टिकोण के रूप में प्रस्ताव में सुझाव दिया गया है कि संसदीय सीटों की संख्या को यथावत रखते हुए अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) और महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ाने के लिए उनके लिए निर्वाचन क्षेत्र की सीमाओं को फिर से बनाया जाना चाहिए।

    इसके अतिरिक्त, सदन ने आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम, 2014 और नवीनतम जनगणना के आंकड़ों के अनुसार तेलंगाना राज्य विधानसभा में सीटों की संख्या 119 से बढ़ाकर 153 करने का भी आह्वान किया है। बता दें कि तमिलनाडु विधानसभा ने पिछले महीने ही ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ और 2026 के प्रस्तावित परिसीमन के खिलाफ सर्वसम्मति से दो प्रस्ताव पास किए हैं। तमिलनाडु विधानसभा के प्रस्ताव में कहा गया है कि अपरिहार्य कारणों से अगर जनसंख्या के आधार पर सीटों की संख्या बढ़ाई जाती है, तो इसे 1971 की जनसंख्या के आधार पर किया जाना चाहिए।

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