पटना: बिहार विधानसभा चुनाव से ठीक पहले राज्य की राजनीति में बिन मौसम ही बरसात शुरू हो गई है. इस राजनीतिक बरसात में आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव के साथ-साथ बेटा तेजस्वी यादव भी सीएम नीतीश कुमार का टेम्परेचर मापने के लिए बार-बार ‘थर्मामीटर’ लगा रहे हैं. बाप-बेटे ने मिलकर बिहार के राजनीतिक तापमान में गर्माहट तो ला दी है. लेकिन, नीतीश कुमार के मौन धारण करने से सारे अरमान पर पानी फिरता दिख रहा है. हालांकि, सीएम नीतीश कुमार की पलटीमार पॉलिटक्स का इतिहास देखकर लालू का ‘लॉलीपॉप पॉटिलिक्स’ का खेल जैसे ही शुरू हुआ, दिल्ली में बैठे नेताओं के कान खड़े हो गए. एक-एककर सारे नेता पटना पहुंचने लगे. लेकिन, जब पटना पहुंचे तो एक अलग ही राजनीति नजर आने लगी.
हाल के वर्षों में नीतीश कुमार कब क्या करते हैं, किसी को भी जानकारी नहीं होती है. यहां तक की उनके साथ रहने वाले लोगों को भी इसकी भनक नहीं होती है. इसका उदाहरण मोदी-2 सरकार में केंद्रीय मंत्री रामचंद्र प्रसाद सिंह से बढ़कर कौन जान सकता है. पहले तेजस्वी यादव ने लालू का दरवाजा बंद करने वाला राजनीतिक इंजेक्शन मीडिया में दिया. फिर 48 घंटे के बाद पिता लालू यादव ने नीतीश के लिए दरवाजा खोलकर राजनीतिक तापमान मापने के लिए थर्मामीटर लगाया. लालू ने जैसे ही थर्मामीटर लगाया, ललन सिंह दिल्ली से उड़कर पहुंच गए पटना. पटना पहुंचते ही लालू के थर्मामीटर ने काम करना बंद कर दिया.
बता दें कि गुरुवार को नए राज्यपाल के शपथग्रहण के बाद नीतीश कुमार से जब पत्रकारों ने सवाल किया कि लालू यादव ने आपके लिए दरवाजा खुला रखा है? इस पर नीतीश कुमार मुस्कुराकर हाथ जोड़कर आगे बढ़ गए. लेकिन, ललन सिंह से जब पत्रकारों ने पूछा तो उनके आव-भाव से लग रहा था कि लालू यादव ने सिर्फ शिगूफा छोड़ा. ललन सिंह ने उल्टे पत्रकारों से ही पूछ लिया कि लालू जी से ही पूछिए. हम क्या जवाब दें. हमलोग एनडीए में पूरी मजबूती के साथ हैं. बीते कुछ दिनों से नीतीश कुमार के गच्चा देने की खबर चल रही थी, उसमें गुरुवार शाम के बाद उसमें थोड़ी कमी आई है. लेकिन, गुरुवार शाम को जन सुराज पार्टी के नेता प्रशांत किशोर ने आमरण अनशन शुरू कर लालू-नीतीश दोनों के लिए मुश्किल खड़ी कर दी है.
बिहार को करीब से जानने वाले पुराने पत्रकारों की मानें तो लालू यादव राजनीति के मझे हुए खिलाड़ी हैं. बीच-बीच में नीतीश कुमार का टेम्परेचर मापते रहते हैं. शायद इसीलिए लालू ने दरवाजा खुला रखने वाला बयान देकर राजनीतिक तापमान का भी थाह ले लिया और आरजेडी कैडर्स में भी जोश भर दिया कि तैयार रहो. ऐसे में नहीं लग रहा है कि लालू का लॉलीपॉप पॉलिटिक्स इस बार नीतीश पर असरदार साबित होने वाला है.
बिहार की सियासत में बीते कुछ दिनों से नीतीश कुमार को लेकर तरह-तरह की खबरें आ रही हैं. लेकिन, गुरुवार को केंद्रीय मंत्री ललन सिंह का पटना पहुंचना और पहुंचते ही इसपर बयान देने के बाद मामला रफा-दफा लग रहा है. ऐसे में नए गवर्नर आरिफ मोहम्मद खान के शपथ ग्रहण समारोह में नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव का मिलन सिर्फ औपचारिकता मात्र थी या फिर इसके कुछ अलग मायने हैं?
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