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    इन्दौर में आज से तहसीलदार हुए लामबंद, तीन दिन की हड़ताल

  • September 20, 2024

    • तीन दिन राष्ट्रपति और अनंत चतुर्दशी की ड्यूटी अब
    • आवेदकों की होगी फजीहत, दो दिन से कलेक्टर कार्यालय के चक्कर काट रहे, नहीं हो रहा काम

    इंदौर। जबलपुर (Jabalpur) में वसीयत नामांतरण (transfer of will) में चूक में दोषी पाए गए तहसीलदार (Tehsildars ) की गिरफ्तारी के बाद प्रदेश के सभी तहसीलदार लामबंद (mobilized) हो गए हैं। आज से इंदौर (Indore) में तीन दिन की हड़ताल (strike) घोषित कर दी गई। हालांकि प्रदेश स्तर पर अनिश्चितकालीन हड़ताल की संभावनाएं जताई जा रही हैं।



    तीन दिन से लगातार राष्ट्रपति और अनंत चतुर्दशी की ड्यूटी मे तैनात तहसीलदार, नायब तहसीलदार काम नहीं कर पा रहे थे और आज से लगातार तीन दिन हड़ताल की घोषणा के बाद आवेदकों की फजीहत हो रही है। लगातार 6 दिन तक काम नहीं होने के कारण कइयों के आवेदनों पर कार्रवाई तो दूर सुनवाई भी नहीं हो रही है। पिछले दो दिनों से कलेक्टर कार्यालय में छुट्टी सा सन्नाटा पसरा हुआ है। आवेदक तहसीलदार के दफ्तरों के चक्कर काटने को मजबूर हैं। आज से हुई हड़ताल की घोषणा के बाद कई आवेदकों ने कल सिर पकड़ लिया। राष्ट्रपति की ड्यूटी से फ्री हुए तहसीलदारों ने रेसीडेंसी कोठी में ही कमिश्नर और कलेक्टर के नाम ज्ञापन दिया। ज्ञात हो कि जबलपुर के रेंगवा गांव में महावीर पांडे के नाम पर एक हजार हेक्टेयर जमीन थी। तहसील में पदस्थ कम्प्यूटर आपरेटर दीपा दुबे ने इस जमीन को फर्जी वसीयत बनाकर अपने पिता श्यामनारायण दुबे के नाम करवा लिया और भाइयों के साथ मिलकर इस जमीन को बेचने की कोशिश की। आवेदक द्वारा शिकायत करने पर मामले का खुलासा हुआ और कलेक्टर ने तहसीलदार हरिसिंह दुर्वे व पटवारी जोगेन्द्र पिम्परी की भूमिका को संदिग्ध बताते हुए एफआईआर दर्ज कराई गई है, जिसमें तहसीलदार की गिरफ्तारी भी हुई है।

    संघ ने दिया ज्ञापन
    तहसीलदार संघ के बैनर तले कल तहसीलदारों ने रेसीडेंसी क्षेत्र में ही अनिश्चितकालीन हड़ताल की घोषणा करते हुए संभागायुक्त दीपक सिंह और कलेक्टर आशीष सिंह को ज्ञापन सौंपा। अधिकारियों ने ज्ञापन के माध्यम से जबलपुर तहसीलदार पर हुई एफआईआर को निरस्त करने की मांग की है। संघ ने ज्ञापन मे बताया कि सिविल सेवा आश्रम अधिनियम को दरकिनार करते हुए सीधे पीठासीन अधिकारी के विरुद्ध अनुविभागीय अधिकारी के माध्यम से एफआईआर दर्ज कराई गई है। कलेक्टर ने एफआईआर दर्ज कराने से पहले शासन से अनुमति भी नहीं ली। यह कार्य आचरण संहिता का उल्लंघन है। आवेदन में तहसीलदारों ने पुराने कई मामलों का उल्लेख करते हुए इतनी बड़ी कार्रवाई को गलत ठहराया है।

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