इंदौर। ब्रिलियंट कन्वेंशन सेंटर में आयोजित राजस्व के प्रकरणों को निपटाने की बैठक में जो आंकड़े सामने आए हैं उसके अनुसार तहसीलदार, नायब तहसीलदार ने अपर कलेक्टर और एसडीएम लेबल के कर्मचारियों को पीछे छोड़ दिया। 6 माह आंकड़ों पर यदि नजर डाली जाए तो उच्च अधिकारियों ने 756 मामलों को पेंडिंग रख रखा है, वहीं तहसीलदारों की कोर्ट में 92 मामले पेंडिंग हैं।
33 तहसीलदार व नायब तहसीलदारों ने उच्च अधिकारियों से अच्छा काम किया है। 6 माह से 1 वर्ष तक के पेंडिंग मामलों में अपर कलेक्टर स्तर पर 205 शिकायतें लंबित हैं, वहीं एसडीएम लेवल पर इन शिकायतों का आंकड़ा 332 है। तहसीलदार लेवल पर इनकी संख्या 44 ही है। हालांकि तहसीलदार बिचौली हैप्सी राजेश सोनी मामलों को निपटाने में काफी पीछे रहे। वहीं तहसीलदार ममता पटेल को भी कलेक्टर के गुस्से का सामना करना पड़ा।
अपर कलेक्टर की कोर्ट में सबसे ज्यादा मामले लंबित
विभागीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार 6 माह से ज्यादा 186 मामले अपर कलेक्टर अभय बेड़ेकर की कोर्ट में पेंडिंग हैं। उसके बाद अपर कलेक्टर आरएस मंडलोई 15 मामलों का निराकरण 6 माह से नहीं कर पाए हैं। वहीं अपर कलेक्टर अजयदेव शर्मा, राजेश राठौर क्रमश: सबसे कम पेंडिंग की श्रेणी में हैं। उन्होंने क्रमश: 5, 6 मामलों का निराकरण नहीं किया है, वहीं 1 भी पेंडेंसी न रखकर एडीएम पवन जैन टॉप पर बने हुए हैं। तहसील स्तर के कर्मचारियों ने दबी जुबान से कहा कि हमें तो खूब डांट मिलती है, लेकिन जब मामले उच्च स्तर से ही पेंडिंग रहेंगे तो हम भी कहां तक निराकरण कर पाएंगे। सबसे ज्यादा मामले बैंकों से आने वाले प्रकरणों के हैं। वकीलों और आवेदकों के कहने पर मामलों को रोककर रखा जाता है।
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