नई दिल्ली: ईरान के सुप्रीम लीडर अली ख़ामेनेई का एक बयान आया, जिसमें उन्होंने भारत में मुसलमानों की स्थिति पर जहर उगला. भारत की तरफ से भी ईरान को तुरंत करारा जवाब दिया गया. विदेश मंत्रालय ने ईरान को यह नसीहत दी कि भारत की ओर देखने से पहले वो अपने गिरेबान में झांके. ईरान में अल्पसंख्यकों की स्थित बद से बदतर है. पहले उसे सुधारने के लिए ईरान फोकस करे. भारत और ईरान दशकों से अच्छे दोस्त रहे हैं लेकिन यहां बड़ा सवाल यह है कि आखिर ऐसा कौन सा दर्द है जो रह-रह कर ईरान के सामने आ जाता है और वो भारत के खिलाफ जहर उगलने लगता है.
वैसे तो ईरान की धरती पर भारत चाबहार पोर्ट डेवलप कर रहा है. इससे ना सिर्फ भारत को सेंट्रल ऐशिया में जाने का मौका मिलेगा बल्कि ईरान की अर्थव्यस्था को भी फायदा होगा. साथ ही ईरान में भी कनेक्टिविटी बढ़ेगी, लेकिन ईरान के भारत से भिन्नाने की मुख्य वजह नई दिल्ली द्वारा लिए गए वो कुछ जियो-पॉलिटिकल फैसले हैं, जिसका असर ईरान पर भी पड़ा है.
इंटरनेशनल एटॉमिक एनर्जी एजेंसी यानी IAEA में भारत एक बार नहीं तीन बार ईरान के न्यूक्लियर प्रोग्राम के खिलाफ वोटिंग कर चुका है. भारत ने 1999 में जब न्यूक्लियर टेस्ट किए तो अमेरिका ने भारत पर काफी प्रतिबंध लगा दिए थे लेकिन साल 2004-05 आते-आते भारत-अमेरिका अच्छे दोस्त बन गए. बाद में भारत-अमेरिका के बीच न्यूक्लियर डील भी हुई. भारत ने पश्चिमी देशों के साथ मिलकर साल 2005, 2006 और 2009 में IAEA में ईरान के न्यूक्लियर प्रोग्राम के खिलाफ लाए गए प्रस्तावों में वोटिंग की.
ईरान में पिछले साल महिलाओं ने बुर्का नहीं पहनने को लेकर जमकर विरोध प्रदर्शन किए थे. यह मुद्दा महीनों तक अंतरराष्ट्रीय सुर्खियों में भी रहा था. ईरान एक कट्टर मुस्लिम देश है जो अपने देश की महिलाओं को सर्वाजनिक स्थल पर बुर्के से बाहर आने की इजाजत भी नहीं देता. ऐसे में विरोध प्रदर्शन के बीच जब युनाइटेड नेशन में इस मुद्दे पर वोटिंग हुई तो भारत ने ईरान का साथ नहीं दिया था.
एक वक्त था जब भारत ईरान से अपने कच्चे तेल की जरूरतों का 70 प्रतिशत तक इम्पोर्ट करता था लेकिन इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार मौजूदा वक्त में ईरान से भारत एक बूंद भी पेट्रोल नहीं खरीदा रहा है. अमेरिका के प्रतिबंध के अलावा इसके पीछे कई अन्य वजह भी है, जिसके चलते ईरान का भारत से नाराज होना लाजमी है.
भारत और इजरायल दोनों अच्छे दोस्त है. पिछले साल 7 अक्टूबर को इजरायल पर हुए हमले के बाद इजरायल लगातार गाजा पट्टी और वेस्ट बैंक में हमास के खिलाफ हमले कर रहा है. अबतक 40 हजार से ज्यादा निर्दोष फिलिस्तीनी इन हमलों में जान गंवा चुके हैं. ईरान-इजरायल के बीच इस मुद्दे पर तनातनी बनी हुई है लेकिन भारत ने इसपर न्यूट्रल रुख अपनाया हुआ है. यह बात ईरान को पसंद नहीं है. भारत का रुख इस युद्ध को लेकर साफ है. भारत इजरायल में घुसकर की गई आतंकी घटना के खिलाफ है. वहीं, फिलिस्तीनी लोगों पर हो रहे हमलों का भारत ने विरोध भी किया है.
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