अब के जाते हुए इस तरह किया उस ने सलाम,
डूबने वाला कोई हाथ उठाए जैसे।
गुजऱा हुआ साल भोपाल के 2 रंगकर्मियों को हमसे जुदा कर गया था। 17 नवम्बर 22 को रमेश अहीरे और 8 दिसम्बर 22 को केजी त्रिवेदी उर्फ चच्चा इंतक़ाल फार्मा गए थे। एक और जहां रमेश अहीरे युवा आर्टिस्ट के तौर पे कई नाटकों में अपने फन की छाप छोड़ गए वहीं चच्चा उस हरदिल अज़ीज़ शख्सियत का नाम था जिसे भौपाल के रंग आंदोलन में सदा याद किया जाएगा। इन दोनों नायाब रंगकर्मियों की याद में शहर के भेतरीन फि़ल्म और थियेटर आर्टिस विवेक सावरिकर, ज्योति सावरिकर और आसावरी सावरिकर शर्मा की संस्था रंगमोहिनी की जानिब से आज 20 जनवरी की शाम साढ़े छह बजे शहीद भवन में उत्तरायण नाट्य समारोह मुनक़्क़ीद कर रही है। केजी चच्चा जहां विवेक के लंगोटिया यार हैं वहीं रमेश अहीरे विवेक की रंगमोहिनी से बहुत दिलोजान से जुड़े हुए थे।
इन दोनों मरहूम कलाकारों की याद में पहला नाटक सूखे दरख़्त हो रहा है। इस प्ले में रमेश अहीरे कभी मेनिजर का रोल किया करते थे। अब ये रोल अखिलेश जैन करेंगे। ओल्ड एज होम में रहने वाले बुजुर्गों की मनोदशा को बेहद जज़्बाती अंदाज़ में पेश करता है सूखे दरख़्त। इसमे संतोष पणिकर और असीम दुबे का रोल भी लोगों को याद रहेगा। उत्तरायण के अगले दिन यानी 21 जनवरी को सविता दामोदर परांजपे नाटक मंचित होगा। इस नाटक में मरहूम रमेश अहीरे आयंगर नामक मद्रासी का रोल किया करते थे। ये रोल भी अखिलेश करेंगे। इन दोनो मरहूम कलाकारों की याद में आखरी शाम 22 जनवरी को बहुत जानदार नाटक पुरुष खेला जाएगा। जयंत दलवी के इस मूल मराठी नाटक का तर्जुमा और निर्देशन ज्योति सावरिकर ने किया है। आदर्श शर्मा इसके निर्देशक हैं। आशीष श्रीवास्तव की संस्था क्रिएटिव आर्ट एंड कल्चर डेवलोपमेन्ट सोसायटी भी केजी और रमेश की याद में हो रहे इस नाट्य समारोह में सहयोग कर रही है। वक्त से पहले साथ छोड़ गए चच्चा और रमेश को खिराजे अक़ीदत।
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