इंदौर। प्राधिकरण (IDA) द्वारा चार चौराहों (Four Crossroads) पर फ्लायओवरों (flyover) के निर्माण लगभग पूर्ण किए जा रहे हैं, तो बड़ा गणपति (Big Ganpati) पर भी 38 करोड़ कीलागत से बनना मंजूर किया है। हालांकि अभी इसमें तकनीकी अड़चनें (Technical difficulties) आ गई है और निगम की मुख्य ड्रैनेज लाइन पिलर्स के नीचे आ रही है, जिसकी शिफ्टिंग को लेकर अब निगम और आईडीए प्रयास में जुटे हैं, तो दूसरी तरफ खजराना फ्लायओवर की दूसरी भुजा भी तैयार हो गई है और इसी हफ्ते उस पर से भी यातायात दौडऩे लगेगा। दरअसल, इस भुजा का काम धार्मिक स्थल की बाधा को दूर करने में लगे समय के चलते विलंब से हुआ। एक भुजा से यातायात मुख्यमंत्री द्वारा लोकार्पित किए गए फ्लायओवरों के साथ ही शुरू कर दिया था और उससे भी खजराना चौराहा पर बड़ी राहत मिली है।
प्राधिकरण ने 200 करोड़ रुपए की लागत से चार चौराहों पर फ्लायओवर बनाए। साथ ही लवकुश चौराहा पर 150 करोड़ की लागत से डबल डेकर फ्लायओवर भी बनाया जा रहा है, जिसमें हालांकि अभी लगभग एक साल का समय लगेगा। मगर लवकुश चौराहा पर दूसरा जो फ्लायओवर बनाया गया उसकी दूसरी भुजा भी तैयार हो गई है और उस पर से भी संभवत: माह के अंत या नए साल के पहले हफ्ते से यातायातशुरू कर दिया जाएगा। लवकुश चौराहा पर भी एक भुजा के यातायात से काफी फर्क पड़ गया है और दिनभर लगने वाले जाम से भी मुक्ति मिली। इसी तरह फूटी कोठी और भंवरकुआ फ्लायओवर से भी यातायात सुगम हो गया है और इसी हफ्ते खजराना फ्लायओवर की भी दूसरी भुजा से यातायात प्राधिकरण शुरू कर देगा। वहीं दूसरी तरफ बड़ा गणपति फ्लायओवर को लेकर तकनीकी पेंच आया है और इस फ्लायओवर के पिलर के नीचे निगम की ड्रैनेज लाइन आ रही है। हालांकि निगम का कहना है कि इसकी शिफ्टिंग संभव नहीं है इसलिए प्राधिकरण को ही ड्राइंग-डिजाइन और लोकेशन में परिवर्तन करना पड़ेगा। दूसरी तरफ प्राधिकरण का कहना है कि वह नगर निगम के साथ चर्चा कर इस तकनीकी समस्या का हल ढूंढने में जुटा है। बड़ा गणपति पर जो 38 करोड़ की लागत से तीन लेन का फ्लायओवर बनाया जा रहा है उसका निर्माण राजमोहल्ला से सुभाष मार्ग की ओर किया जाएगा और पिलर के नीचे 1400 मिलीमीटर की प्राइमरी ड्रैनेज लाइन बिछी है, जो कि लगभग 25 फीट गहरी भी है, जिसके चलते इसकी शिफ्टिंग भी संभव नहीं है। हालांकि प्राधिकरण ने खजराना चौराहा पर भी नर्मदा और ड्रैनेज लाइनों की शिफ्टिंग के लिए करोड़ों रुपए की राशि अतिरिक्त रूप से नगर निगम को दी, लेकिन अगर बड़ा गणपति की लाइन को शिफ्ट करना संभव ही नहीं हो पाएगा , तो फिर प्राधिकरण को लोकेशन और डिजाइन में बदलाव करना पड़ेगा। दूसरी तरफ बीआरटीएस कॉरिडोर पर भी प्रमुख चौराहों पर जो फ्लायओवर प्रस्तावित हैं उनका भी फिजिबिलिटी सर्वे करवाया जा रहा है, उसमें भी अब तकनीकी रूप से इस बात का ध्यान रखना होगा कि कहीं इन चौराहों के नीचे भी नर्मदा या ड्रैनेज की लाइन तो नहीं बिछी है।
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