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    आप से जुड़े शिक्षकों ने पंजाब की नीति के फायदे गिनाए, कहा- केजरीवाल भी इसे अपनाएं

  • November 14, 2021


    नई दिल्ली। दिल्ली विश्वविद्यालय (DU) के शिक्षकों (Teachers) का कहना है कि दिल्ली की केजरीवाल सरकार (Kejriwal govt.) अपने कॉलेजों में शिक्षकों के समायोजन (Adjustment) के लिए पंजाब सरकार की नीति (Punjab govt. policy) अपनाए (Adopt)। खास बात यह है कि पंजाब सरकार के फार्मूले की यह मांग स्वयं आम आदमी पार्टी से जुड़े शिक्षक संगठनों द्वारा उठाई जा रही है।


    आम आदमी पार्टी के शिक्षक संगठन दिल्ली टीचर्स एसोसिएशन (डीटीए ) ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को यह प्रस्ताव भेजा है। इसमें दिल्ली सरकार के अंतर्गत आने वाले वित्त पोषित 28 कॉलेजों के शिक्षकों व कर्मचारियों के समायोजन स्थायीकरण करने के लिए विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की मांग की गई है।
    दिल्ली सरकार के इन कॉलेजों में लगभग चार हजार शिक्षक व कर्मचारी पिछले एक दशक से अधिक से काम कर रहे है लेकिन उन्हें स्थायी नहीं किया गया। हाल ही में पंजाब सरकार ने अपने यहाँ 36 हजार शिक्षकों व कर्मचारियों का समायोजन व स्थायीकरण किया है। भेजे गए प्रस्ताव में लिखा गया है कि पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम, राजस्थान आदि राज्यों में समायोजन स्थायीकरण हुआ है, उसी की तर्ज पर दिल्ली सरकार भी अपने शिक्षकों व कर्मचारियों के लिए विधानसभा में विशेष सत्र के माध्यम से विधेयक लाकर समायोजन का फामूर्ला लागू करें ।

    डीटीए के अध्यक्ष डॉ. हंसराज सुमन ने दिल्ली सरकार को भेजे गए प्रस्ताव में मांग की है कि सरकार इन शिक्षकों व कर्मचारियों के समायोजन पर विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर अपने 28 वित्त पोषित कॉलेजों के शिक्षकों व कर्मचारियों के लिए एक प्रस्ताव लेकर आए। इसमें एक समय में सभी का समायोजन व स्थायीकरण हो सके । उन्होंने बताया है कि पिछले एक दशक से अधिक से इन कॉलेजों में लगभग चार हजार एडहॉक टीचर्स व कर्मचारी काम कर रहे है लेकिन उन्हें स्थायी नहीं किया।
    एडहॉक शिक्षकों के पदों को भरने के लिए कुछ कॉलेजों ने दो बार विज्ञापन निकाले । कॉलेजों द्वारा निकाले गए विज्ञापनों के आधार पर बेरोजगार अभ्यर्थियों व एडहॉक शिक्षकों ने इन पदों के लिए आवेदन किया परन्तु इंटरव्यू कभी नहीं हुए और ना ही कॉलेजों ने आज तक कोई कोरिजेंडम ही निकाला ।

    दिल्ली सरकार को भेजे गए प्रस्ताव में बताया है कि दिल्ली सरकार के अंतर्गत आने वाले वित्त पोषित 28 कॉलेजों में जहां साल 2006–2007 में एडहॉक टीचर्स की संख्या 10 फीसदी थी आज इन कॉलेजों में 60 से 70 फीसदी एडहॉक टीचर्स है। इन कॉलेजों में मोतीलाल नेहरू कॉलेज ,सत्यवती कॉलेज ,श्री अरबिंदो कॉलेज , शहीद भगतसिंह कॉलेज , स्वामी श्रद्धानंद कॉलेज , श्यामाप्रसाद मुखर्जी कॉलेज , विवेकानंद कॉलेज , लक्ष्मीबाई कॉलेज , कालिंदी कॉलेज , राजधानी कॉलेज , शिवाजी कॉलेज , महाराजा अग्रसेन कॉलेज , भीमराव अम्बेडकर कॉलेज भगिनी निवेदिता कॉलेज ,अदिति महाविद्यालय , भारती कॉलेज , मैत्रीय कॉलेज आदि है।
    यहां लंबे समय से स्थायी नियुक्ति नहीं हुई है। प्रोफेसर सुमन ने बताया है कि कुछ कॉलेज तो ऐसे है जिनके विभागों में आज कोई भी स्थायी शिक्षक नहीं है । ये एडहॉक टीचर्स पिछले एक दशक से ज्यादा से तदर्थ आधार पर काम कर रहे है उन्हें स्थायी नहीं किया गया । इनमें बहुत से शिक्षक व महिला शिक्षिका ऐसी है जिनकी उम्र 35 से 45 या उससे अधिक हो चुकी है लेकिन उन्हें आज तक स्थायी नहीं किया गया।

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