मुंबई: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख (chief) मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने शनिवार को कहा कि पश्चिमी सभ्यता व्यक्तिवाद को प्राथमिकता देती है जबकि भारतीय (India) समाज परिवार को केंद्र में रखता है। महाराष्ट्र बीजेपी (BJP) के विधायक अमीत सातम (amit satam) द्वारा लिखित पुस्तक के विमोचन के अवसर पर संबोधित करते संघ प्रमुख ने यह टिप्पणी की है। उन्होंने कहा कि बच्चों पर करियर बनाने की राय हमें नहीं थोपनी चाहिए। संघ प्रमुख अपील की और कहा कि माता-पिता को अपने बच्चों पर विशिष्ट क्षेत्र में करियर बनाने की बात न थोपें। अगर उनके बच्चें संगीत या पाक कला जैसे शौक को आगे बढ़ाना भी उतना ही संतुष्टिदायक होगा। संघ प्रमुख ने विधायक अमीत सातम द्वारा लिखित पुस्तक उड़ान का लोकार्पण किया।
पश्चिम संस्कृति से की तुलना
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि माता-पिता, विशेषकर उच्च शिक्षित पृष्ठभूमि वाले माता-पिता, अक्सर अपने बच्चों पर उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए दबाव डालते हैं। उन्होंने कहा कि पश्चिमी संस्कृतियों में, व्यक्ति को मौलिक इकाई माना जाता है। जहां व्यक्तिवाद पर अधिक जोर रहता है। इसके विपरीत, हमारा समाज परिवार को केंद्र में रखता है। एक मजबूत परिवार इकाई एक मजबूत समाज का आधार बन सकती है। हमारे समाज का स्वरूप स्वाभाविक रूप से दूसरों की मदद करने वाला है। उन्होंने अभिभावकों से आग्रह किया कि वे अपने बच्चों को बेहतर तरीके से कमाने की सीख दें तथा उन्हें समाज की बेहतरी के लिए इसका कुछ हिस्सा योगदान करने के लिए प्रोत्साहित करें।
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