कोलकाता। हर एक मुद्दे पर बिना लाग लपेट मुखर तरीके से अपनी बात मजबूती से रखने वाले मेघालय के पूर्व राज्यपाल तथागत रॉय की वापसी एक बार फिर राजनीति में हो रही है। प्रदेश भाजपा सूत्रों ने बताया कि अगले सप्ताह तक भारतीय जनता पार्टी में उनकी ज्वाइनिंग हो जाएगी।
बंगाल भाजपा के प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय ने एक दिन पहले ही रॉय से मुलाकात की है और उनकी वापसी को लेकर केंद्रीय स्तर पर चर्चा और कोशिशें भी तेज हो गई हैं। जानकारों का मानना है कि तथागत रॉय की राजनीति में वापसी से न केवल बंगाल भाजपा को मजबूती मिलेगी बल्कि 2021 का विधानसभा चुनाव भी काफी दिलचस्प हो जाएगा। इसकी वजह यह है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से संबंध रखने वाले रॉय ना केवल प्रखर वक्ता, कुशल लेखक और प्रबुद्ध व्यक्ति हैं बल्कि सिद्धहस्त संगठक भी हैं। उनके एक भाई राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस के सांसद हैं। उनका नाम प्रोफेसर सौगत रॉय है और ये दोनों भाई एक ही गुरु के शिष्य हैं। इसीलिए अपने-अपने क्षेत्रों में जनता के बीच दोनों की पैठ लगभग बराबर है।
वैसे भी लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने तृणमूल के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन किया है इसीलिए 2021 का विधानसभा चुनाव दिलचस्प होना तय है। तथागत रॉय जैसे मेघालय के राज्यपाल के पद से निवृत्त हुए, बंगाल की राजनीति में उनके लौटने की खबरें भी तैरने लगीं। ऐसे में जब भाजपा के पास बंगाल में कोई सर्वमान्य चेहरा नहीं उस समय तथागत रॉय की वापसी कई सवालों को जन्म दे रही है। अगर वह सक्रिय राजनीति में लौटे तो बंगाल की लड़ाई काफी रोचक हो जाएगी। बंगाल की राजनीति में ये दोनों भाई चर्चित शख्सियत हैं।लेकिन अलग अलग दलों से। दोनों की राजनीतिक यात्रा शुरू होने की कहानी भी काफी अहम मोड़ लिए हुए है। 27 दिसंबर,1963 में जम्मू एवं कश्मीर के हजरतबल दरगाह से मुस्लिमों की एक पवित्र निशानी चोरी होने से नाराज समुदाय ने पश्चिम बंगाल और पूर्वी पाकिस्तान में जमकर हिंसात्मक प्रदर्शन किए। 04 जनवरी, 1964 में रहस्यात्मक ढंग से जब तक वह पवित्र निशानी मिल नहीं गई यह खूनी प्रदर्शन जारी रहे। सांप्रदायिक दंगों से पूरा बंगाल जल उठा। शरणार्थी हिंदू इन दंगों की आग में जल रहे थे। इस घटना से बेहद आहत कलकत्ता से कुछ ही दूर बंगाल इंजीनियरिंग कॉलेज, शिवपुर में पढ़ने वाले सिविल इंजीनियरिंग के छात्र तथागत ने जैसे तैसे इन दंगों से खुद को बचाया। सांप्रदायिक हिंसा और खूनी दंगों के बीच तथागत राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और हिंदुओं के लिए काम करने वाले समर्पित सामाजिक कार्यकर्ताओं के करीब आ गए।
बंगाल में तथागत रॉय और उनके छोटे भाई सौगत रॉय बेहद जाना माना नाम हैं। लेकिन फिलहाल तथागत मीडिया की सुर्खियों में इस बार मेघालय के गवर्नर पद से सेवानिवृत्त होने की वजह से हैं। 19 अगस्त 2020 की शाम को तथागत सेवानिवृत्त हुए। अब जबकि बंगाल भाजपा में उनकी वापसी हो रही है तो निश्चित तौर पर राज्य का माहौल भी बदलेगा और राजनीति भी दिलचस्प होगी। (एजेंसी, हि.स.)
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