उज्जैन। टाटा सीवर लाइन शहर में डाली गई और उनके जो चेम्बर है वह सड़क के बाहर निकले हुए हैं तथा कुछ नीचे हैं जिसमें उलझकर वाहन चालक दुर्घटनाग्रस्त हो रहे हैं। बारिश में जब पानी भरेगा तो यह चेम्बर जानलेवा हो सकते हैं तथा इसका जिम्मेदार कौन होगा यह सबसे बड़ा सवाल है..?
टाटा कंपनी पिछले 3 साल से अधिक समय से पूरे शहर में सीवर लाइन डालने का काम कर रही है। इस दौरान उन्होंने कई सड़कें भी खोद डाली और बाद में उन्हें सही लेवल में रिपेयरिंग भी नहीं किया गया। जानकारी के मुताबिक पूरे शहर में गली-गली और प्रमुख सड़कों पर 8300 चेंबर बनाए हैं। इन चेंबर में से प्रमुख सड़कों में आगर रोड, माधव नगर, अंकपात की सड़क, नीलगंगा क्षेत्र, नई सड़क, क्षीरसागर एवं अन्य कई स्थानों पर और गलियों में टाटा की सीवर लाइन डालने के दौरान चेंबर भी बनाए गए हैं। शहर में एक रिपोर्ट के मुताबिक करीब 500 से अधिक चेंबर सड़क के अंदर की तरफ धंस गए हैं। इससे चेंबर के ऊपर और सड़क के बीच गड्ढा बन गया है।
यह गड्ढा अभी तो वर्तमान में दिखाई देता है, इसके बावजूद वाहन स्लिप हो रहे हैं और गिर रहे हैं। अब बरसात के मौसम में इन गड्ढों में पानी भर जाएगा और सड़कों पर भी पानी रहेगा। ऐसे में वाहन चालक को यह पता नहीं होगा कि यहाँ पर प्लेन सड़क के बीच गड्ढा भी है और ऐसे गड्ढे में तेज गति में वाहन कूदने से अनियंत्रित होगा और बड़ी दुर्घटना हो सकती है। यहाँ सबसे प्रमुख सड़क आगर रोड की बात की जाए तो चामुंडा माता से लेकर नाके तक डिवाइडर के पास यह चेंबर बनाए गए इनमें से अधिकांश चेंबर बैठ गए हैं या सड़क से उठे हुए हैं। इस सड़क से रात्रि में वीडियो कोच बस और ट्रक भी गुजरते हैं। यदि रात में कोई बस या ट्रक अनियंत्रित हो गया तो बड़ी दुर्घटना हो सकती है लेकिन इसको देखने वाला कोई नहीं है। अधिकारियों से जब इस संबंध में बात करो तो वह संबंधित कंपनी पर जुर्माना लगा दिया है इतना कहकर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर लेते हैं।
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