उज्जैन। करीब 4 साल से टाटा प्रोजेक्ट कंपनी धीमी रफ्तार से भूमिगत सीवरेज लाईन डाल रही है। लगातार यह आरोप लग रहे हैं। इसी बीच अब टाटा कंपनी पर चेम्बर के निर्माण कार्य में मापदंडों के विपरित घटिया निर्माण सामग्री उपयोग करने के आरोप भी लग रहे हैं। उल्लेखनीय है कि 402 करोड़ के सीवरेज प्रोजेक्ट पर टाटा कंपनी पिछले 4 साल से काम कर रही है। पहले चरण में कंपनी को शहर में 439 किलोमीटर लंबे दायरे में पाईप लाईन डालनी है। इसी के साथ करीब 15 किलोमीटर लंबी त्रिवेणी से सुरासा तक मेन लाईन का काम भी करना है। इसके साथ ही टाटा कंपनी को 80 हजार चेम्बरों का निर्माण भी करने का लक्ष्य है। 439 में से कंपनी अभी तक 225 किलोमीटर लंबी लाईन ही डाल पाई है, वहीं मेन लाईन का काम भी करीब 6 किलोमीटर के दायरे में हुआ है।
कंपनी शुरु से ही सीवरेज के काम में लापरवाही बरत रही है। इसी के चलते नगर निगम अभी तक कंपनी पर 50 हजार रुपए रोज के मान से पेनल्टी लगा रही है। 3 करोड़ से ज्यादा की पेनल्टी कंपनी भुगत चुकी है और निगम ने उसका करोड़ों का भुगतान भी रोक दिया है। बावजूद इसके कार्यशैली में कोई सुधार नहीं हुआ है। वार्ड 49 के पूर्व पार्षद संतोष व्यास ने बताया कि टाटा कंपनी द्वारा ऋषिनगर सहित देवास रोड की अन्य कॉलोनियों में जहाँ सीवरेज लाईन डाल दी गई है वहाँ चेम्बर का निर्माण शुरु किया गया है। इसमें टाटा द्वारा चेम्बर निर्माण में गुणवत्ताहीन सामग्री का उपयोग किया जा रहा है। सीमेंट के पाईप डालने की बजाय कंपनी ईंट का इस्तेमाल कर रही है। रेती और सीमेंट की क्वालिटी भी खराब इस्तेमाल की जा रही है। हालांकि कंपनी के अधिकारियों का कहना है कि ठेका अनुबंध शर्त के मुताबिक ही चेम्बर का निर्माण किया जा रहा है। चेम्बर निर्माण का काम भी काफी धीमा चल रहा है। पिछले साल दिसम्बर तक टाटा कंपनी 80 हजार में से 33 हजार चेम्बर का निर्माण कर पाई थी।
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