भोपाल। केंद्र सरकार ने 2030 तक देश को मलेरिया मुक्त करने की समयसीमा तय की है लेकिन प्रदेश सरकार 2027 तक मप्र को मलेरिया मुक्त करने की योजना पर काम कर रही। इसी सिलसिले में कुशाभाऊ ठाकरे सभागार में मलेरिया विभाग ने दो शॉर्ट मूवी लॉन्च की हैं। इन लघु फिल्मों के जरिए लोगों को मच्छरों से फैलने वाली बीमारियों के लक्षण, जांच और उपचार के बारे में जागरूक किया जाएगा। देवास जिले के मलेरिया विभाग के कर्मचारियों ने ही इसमें किरदार निभाए हैं। भोपाल में जुटे प्रदेश भर के मलेरिया विभाग के अधिकारियों की वार्षिक समीक्षा बैठक में जुटे विशेषज्ञों कहा कि मच्छरों के जरिए फैलने वाली बीमारियां डेंगू, मलेरिया के मामले हर साल स्वास्थ्य महकमे को परेशानी में डाल देते हैं। आम लोगों में जागरूकता की कमी और मैदानी अमले की ढ़ील इन बीमारियों का प्रसार बढ़ा देतीं हैं। मलेरिया की जद में आए मरीज यदि बीच में दवाएं छोड़ देते हैं तो यह सेहत के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है। प्लाज्मोडियम वाइवैक्स मलेरिया पॉजिटिव मरीजों को 14 दिनों तक नियमित दवाएं खानी होतीं हैं यदि मरीज बुखार उतरने या थोड़ी राहत मिलने के बाद तीन-चार दिन में ही दवा खाना छोड़ देता है तो उसे कुछ दिन बाद फिर मलेरिया बुखार हो सकता है। बार-बार बुखार आने और दवाएं खाने से किडऩी पर भी प्रभाव पड़ सकता है।
ऐसे करा सकते हैं जांच
हर गांव, और वार्ड की आशा कार्यकर्ता को मलेरिया विभाग की ओर से मलेरिया टेस्ट किट दी गई है। इसमें आशा कार्यकर्ता मलेरिया के संदिग्ध लक्षणों वाले मरीज की किट से जांच करती है। इस किट में मलेरिया का प्रकार भी 20 मिनट में पता चल जाता है।
इसके अलावा उप स्वास्थ्य केन्द्र से लेकर पीएचसी, सीएचसी, जिला अस्पताल में भी जांच की सुविधा होती है। माइक्रोस्कोप की सुविधा वाले अस्पतालों में स्लाइड बनाकर मलेरिया की जांच कराई जा सकती है।
बालाघाट में मलेरिया का सबसे ज्यादा प्रभाव
बीते साल प्रदेश में 3181 केस मिले थे। इनमें सबसे ज्यादा 1081 मरीज अकेले बालाघाट जिले में मिले हैं। छिंदवाड़ा में 183, श्योपुर में 165, रीवा में 158, धार में 105 केस आए हैं। बीते साल 2021 में आगर, शाजापुर, हरदा में मलेरिया का एक भी मरीज नहीं मिला।
मप्र को मलेरिया मुक्त करने की कार्ययोजना
बैठक में स्वास्थ्य विभाग के अपर संचालक डॉ. संतोष जैन ने बताया कि भारत सरकार ने 2030 तक देश को मलेरिया मुक्त करने की समयसीमा तय की है लेकिन हम साल 2027 तक मप्र को मलेरिया मुक्त करने की योजना पर काम कर रहे हैं। बीते साल के मुकाबले मप्र में मलेरिया के मामले 53 फीसदी तक कम हुए हैं। लेकिन जबलपुर संभाग में मलेरिया का सबसे ज्यादा प्रभाव देखने को मिला है पिछले साल 2021 में प्रदेश भर के 48 फीसदी मलेरिया के मरीज अकेले जबलपुर संभाग में मिले हैं। मलेरिया नियंत्रण के लिए प्रभावित जिलों के गांवों में मच्छरदानी का वितरण और जांच को प्रमुखता दी जा रही है।
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