इंदौर। डेढ़ सौ साल पहले अंग्रेजों के खजाने को लूटकर आदिवासियों का पेट भरने वाले राबिन हुड टंट्या भील का आज बलिदान दिवस मनाया जाएगा। इसके लिए इंदौर में आदिवासियों को जुटाकर सरकार उनके संरक्षण के लिए बनाए कानून का प्रचार करेगी।
विधानसभा चुनाव 2023 की तैयारियों में जुटी भाजपा आज टंट्या मामा के बलिदान दिवस के बहाने इंदौर में 1 लाख से अधिक आदिवासियों को जुटाने का दावा कर रही है। मालवा और निमाड़ की अधिकांश आदिवासी बहुल सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है और भाजपा इस बार इन सीटों पर अपना कब्जा जमाना चाहती है। इसी को लेकर आज मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान दोपहर में इंदौर में एक बड़ी जनसभा को संबोधित करेंगे, जिसमें बड़ी तादाद में आदिवासी शामिल होंगे। जहां वे आदिवासियों के लिए बनाए पेसा एक्ट की खूबियां बताएंगे।
कौन थे टंट्या मामा…
मालवा और निमाड़ अंचल के लोकनायक तांतिया जिन्हें प्यार के टंट्या मामा के नाम से पुकारा जाता है, उन्होंने 1878 से 1889 के बीच अंग्रेजों से फालिये और तीरों से मुकाबला करते हुए उनके जमा खजाने को लूटा और लूटे माल को शोषित आदिवासियों में बांट दिया। अंग्रेजों की नजर वे डाकू और बागी थे, लेकिन आदिवासियों के लिए क्रांतिकारी थे।
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