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तानसेन समारोहः पांच दिन सुरों की बारिश से सराबोर रहेगी ग्वालियर की फिजा

December 26, 2021

– भारतीय शास्त्रीय संगीत का शीर्षस्थ महोत्सव विश्व संगीत समागम रविवार से

ग्वालियर। ग्वालियर की फिजा पांच दिनों तक सुर, ताल व राग की बारिश में सराबोर रहेगी। भारतीय शास्त्रीय संगीत (Indian classical music) क्षेत्र में देश का सर्वाधिक प्रतिष्ठित महोत्सव एवं विश्व संगीत समागम “राष्ट्रीय तानसेन समारोह” (Most prestigious festival and world music festival “National Tansen Festival”) संगीत की नगरी ग्वालियर में रविवार, 26 दिसम्बर से शुरू होकर 30 दिसम्बर तक चलेगा। समारोह में देश और दुनिया के ब्रम्हनाद के शीर्षस्थ साधक हजीरा स्थित तानसेन समाधि परिसर में सिद्धेश्वर मंदिर ओंकारेश्वर की थीम पर बने भव्य एवं आकर्षक मंच पर बैठकर संगीत सम्राट तानसेन को स्वरांजलि अर्पित करेंगे।


तानसेन समारोह की पारंपरिक शुरुआत रविवार को प्रात: 9 बजे तानसेन समाधि पर शहनाई वादन, हरिकथा, मिलाद वाचन व चादरपोशी के साथ होगी। समारोह का औपचारिक भव्य शुभारंभ सायंकाल 6 बजे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के मुख्य आतिथ्य में होगा। समारोह में केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर और केन्द्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया बतौर विशिष्ट अतिथि शामिल होंगे। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रदेश की संस्कृति मंत्री ऊषा ठाकुर करेंगी। शुभारंभ समारोह में मंत्रीगण तुलसीराम सिलावट, प्रद्युम्न सिंह तोमर, भारत सिंह कुशवाह, सांसद विवेक नारायण शेजवलकर, विधायकगण लाखन सिंह यादव, प्रवीण पाठक, सतीश सिकरवार व सुरेश राजे विशिष्टि अतिथि के रूप में आमंत्रित किए गए हैं।

पं. विक्कू विनायकम होंगे राष्ट्रीय कालिदास सम्मान से अलंकृत
तानसेन समारोह में देश के मूर्धन्य कलाकारों को राष्ट्रीय कालिदास सम्मान से भी अलंकृत किया जाएगा। राज्य शासन के संस्कृति विभाग के अंतर्गत उस्ताद अलाउद्दीन खाँ संगीत एवं कला अकादमी द्वारा तानसेन समारोह का आयोजन किया जाता है। समारोह के शुभारंभ कार्यक्रम में सुविख्यात सितारवादक पं. कार्तिक कुमार मुम्बई और देश के जाने-माने घटम वादक पं. विक्कू विनायकम को राष्ट्रीय कालिदास सम्मान से अलंकृत किया जायेगा।

हरिकथा व मिलाद गायन से होगा पारंपरिक शुभारंभ
गान महर्षि तानसेन की स्मृति में आयोजित होने वाले “तानसेन समारोह” के अपने अलग ही रंग हैं । समारोह के शुभारंभ दिवस को प्रात: काल में तानसेन की समाधि पर सामाजिक समरसता के सजीव दर्शन होते हैं । इस बार भी 26 दिसम्बर को प्रात: काल 10 बजे पारंपरिक रूप से ढोलीबुआ महाराज की हरिकथा, कामिल हजरत द्वारा मिलाद गायन व जनाब मजीद खां के शहनाई वादन के साथ “तानसेन समारोह” का पारंपरिक शुभारंभ होगा। इस अवसर पर मोहम्मद गौस एवं संगीत सम्राट तानसेन की मजार पर पारंपरिक रूप से चादरपोशी भी होगी।

कुल 9 संगीत सभाएँ सजेंगीं
इस बार के तानसेन समारोह में कुल 9 संगीत सभाएं होंगी। पहली 7 संगीत सभाएं सुर सम्राट तानसेन की समाधि एवं मोहम्मद गौस के मकबरा परिसर में सिद्धेश्वर मंदिर ओंकारेश्वर की थीम पर बने भव्य एवं आकर्षक मंच पर सजेंगी। आठवीं प्रात:कालीन सभा सुर सम्राट तानसेन की जन्मस्थली बेहट में झिलमिल नदी के किनारे सजेगी, जबकि नौवीं एवं आखिरी संक्षिप्त संगीत सभा 30 दिसम्बर को सायंकाल किला परिसर स्थित गूजरी महल में होगी।

शास्त्रीय संगीत के महान पोषक राजा मानसिंह तोमर की प्रेयसी मृगनयनी गूजरी महल में ही सुर सम्राट तानसेन से संगीत का प्रशिक्षण प्राप्त करती थीं। इसी बात को ध्यान में रखकर गूजरी महल परिसर में समारोह की अंतिम संगीत सभा आयोजित की जाती है। तानसेन समारोह की प्रात:कालीन संगीत सभाएं प्रात: 10 बजे और सायंकालीन सभाएं सायंकाल 6 बजे शुरू होंगी।

इस बार भी विश्व संगीत की प्रस्तुतियाँ होंगी आकर्षण का केन्द्र
इस बार के संगीत समारोह में भी गत वर्ष की भाँति विश्व संगीत को भी शामिल किया गया है। समारोह में अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त विदेशी संगीत साधक प्रस्तुतियाँ देंगे। इनमें ब्राजील, अर्जेंटीना, फ्रांस, स्पेन, रसिया व इजराहल आदि देशों के स्थापित कलाकार शामिल हैं। (एजेंसी, हि.स.)

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