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    तानसेन समारोहः विक्कू विनायकरम के मटका वादन की सौंधी महक से सुध-बुध भूले रसिक

  • December 27, 2021

    ग्वालियर। रागमनीषी तानसेन (Raagmanishi Tansen) की याद में शुरू हुए संगीत के 97वें तानसेन समारोह (97th Tansen Celebrations) का पहला दिन ही रसिकों को सुखद अहसासों से सराबोर कर गया। संगीत के इस सर्वाधिक प्रतिष्ठित महोत्सव (This most prestigious festival of music) के पहले दिन सुर-साज के कई रंग देखने को मिले। सर्द शाम में में जब विख्यात घटम वादक एवं राष्ट्रीय कालिदास सम्मान से विभूषित पद्मभूषण पं. विक्कू विनायकरम (Padma Bhushan Pt. Vikku Vinayakaram) ने जब अपने मटके पर थाप जमाई तो घटम से झर रही सौंधी-सौंधी मिट्टी जैसी खुशबू से रसिक अपनी सुध-बुध खो बैठे। युवाओं की घड़कन सुविख्यात युवा सितारवादक नीलाद्री कुमार की उंगलियों ने तो सितार पर तंत्रकारी के ऐसे रंग जमाए कि रसिक मंत्रमुग्ध हो गए।


    इस साल के तानसेन समारोह की पहली सभा का आगाज रविवार शाम को शासकीय माधव संगीत महाविद्यालय के विद्यार्थियों के प्रशस्ति एवं ध्रुपद गायन से हुआ। राग धनाश्री, गौरी, यमन और खमाज के सुरों में सजी तानसेन की शान में गाई गई इस प्रशस्ति के बोल थे-‘ध्रुवकंठ स्वरोदगार’। इसके बाद विद्यार्थियों ने ध्रुपद की प्रस्तुति दी। तानसेन रचित बंदिश के बोल थे-” जय शारदा देवी” राग हमीर के स्वरों में सजी एवं चौताल में निबद्ध इस बंदिश को विद्यार्थियों ने बड़े ही सलीके से पेश किया। प्रस्तुति में पखावज पर संजय आफले ने एवं वायलिन पर अंकुर धारकर ने संगत की।

    तीन पीढ़ियों ने एक साथ दी प्रस्तुति
    पहली प्रस्तुति पद्मभूषण पंडित विक्कू विनायकम के घटम वादन की थी। पंडित विक्कू विनायक श्रेष्ठ घटम वादक हैं। उनका ग्रुप है -” विक्कू 3 G” इस ग्रुप में स्वयं विक्कू विनायक घटम बजाते हैं, जबकि उनके पुत्र वी सेल्वगणेश एवं पौत्र स्वामीनाथन सेल्वगणेश खंजीरा बजाते हैं। वी उमाशंकर घटम एवं ए गणेश मोरचंग पर साथ देते हैं।

    पूर्व में घटम कभी लोकसंगीत में इस्तेमाल हुआ करता था, लेकिन शास्त्रीय संगीत में इसे लोकप्रिय बनाने में विक्कू विनायक का विशेष योगदान है। कोई सोच भी नहीं सकता था कि एक जल पात्र को ताल वाद्य के रूप में इतनी मक़बूलियत मिलेगी की उसके बगैर संगीत की महफिलें अधूरी रहेंगी। घट यानी मटका या घड़ा को सात समंदर पार इतनी प्रसिद्धि दिलाने वाले विक्कू विनायकम आज जब अपने कुनबे के साथ तानसेन के मंच पर आए तो रसिकों ने उनका खूब स्वागत किया।

    अपने वादन का आगाज़ उन्होंने विशिष्ट रचना शिव तांडव से किया। तिश्र जाति की सात मात्रा की ताल त्रिपुट को उन्होंने बड़े ही ओजपूर्ण ढंग से घटम बजाया। इसमें उन्होंने कई लयकारियां की। अगली ताल साढ़े सात मात्रा की थी, जो स्वयं विक्कू जी ने बनाई है। देवेरम नामको इस प्रस्तुति में भी उन्होंने खूब रंग भरे। वादन का समापन उन्होंने आदिताल की रचना कौंनक्कोल से किया। इसमें भी उन्होंने खूब लयकरियां की। अपने आप मे अनूठी रही इस प्रस्तुति को रसिक अरसे तक याद रखेंगे।

    इससे पहले भारतीय शास्त्रीय संगीत के क्षेत्र में देश और दुनिया के सर्वाधिक प्रतिष्ठित महोत्सव विश्व संगीत समागम “तानसेन समारोह” का संगीतधानी ग्वालियर में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के मुख्य आतिथ्य में भव्य एवं रंगारंग शुभारंभ हुआ। हजीरा स्थित संगीत सम्राट तानसेन की समाधि के समीप सिद्धेश्वर मंदिर ओंकारेश्वर की थीम पर बने भव्य एवं आकर्षक मंच पर रविवार की सांध्यबेला में आयोजित तानसेन समारोह के शुभारंभ कार्यक्रम में देश के सुप्रतिष्ठित सितार वादक पं. कार्तिक कुमार मुम्बई और सुविख्यात घट्म वादक पद्मभूषण पं. विक्कू विनायकरम चैन्नई को क्रमश: वर्ष 2013 व 2014 के “राष्ट्रीय कालिदास सम्मान” से अलंकृत किया गया।

    समारोह में मुख्यमंत्री चौहान, केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर व केन्द्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, संस्कृति मंत्री ऊषा ठाकुर सहित अन्य अतिथियों ने दोनों मूर्धन्य संगीत साधकों को राष्ट्रीय कालिदास सम्मान के रूप में 2 लाख रुपये की आयकर मुक्त सम्मान राशि, प्रशस्ति पट्टिका व शॉल-श्रीफल भेंट किए।

    “तानसेन समारोह” में 27 दिसम्बर को इनकी प्रस्तुतियां होंगीं
    तानसेन समारोह के तहत सोमवार 27 दिसम्बर की प्रात:कालीन सभा में तेजस विंचूरकर एवं मिताली खरगोणकर विंचूरकर मुम्बई की बांसुरी-तबला जुगलबंदी, मनोज सराफ इंदौर का ध्रुपद गायन, विश्व संगीत के तहत पाब्लो जी ब्राजील की प्रस्तुति, संजय गरूण पुणे का गायन एवं भारत भूषण गोस्वामी दिल्ली का सारंगी वादन होगा। इस सभा का शुभारंभ राजा मानसिंह तोमर संगीत एवं कला विश्वविद्यालय ग्वालियर के ध्रुपद गायन से होगा।

    सोमवार 27 दिसम्बर को सांध्यकालीन सभा में विश्व संगीत के तहत दोसिएतों आनदंते अर्जेंटीना की प्रस्तुति, पं. अभय नारायण मलिक एवं साथी दिल्ली का ध्रुपद गायन, पं. भजन सोपोरी दिल्ली का संतूर वादन, राहुल देशपाण्डे मुम्बई का गायन तथा पं. अनिन्दो चटर्जी एवं अनुवृत चटर्जी कोलकला की तबला जुगलबंदी एवं अश्विनी भिड़े देशपाण्डे का गायन होगा। इस सभा का आरंभ शंकर गांधर्व महाविद्यालय ग्वालियर के ध्रुपद गायन से होगा। (एजेंसी, हि.स.)

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