नई दिल्ली (New Delhi) । मद्रास उच्च न्यायालय (Madras High Court) ने तमिलनाडु (Tamil Nadu) के उच्च शिक्षा मंत्री के.के. पोनमुडी (K.K. ponmudi) और उनकी पत्नी (Wife) को वेल्लोर की एक स्थानीय अदालत (local court) की तरफ आय से अधिक संपत्ति मामले में बरी किए जाने के बाद, आपराधिक पुनरीक्षण याचिका के संबंध में नोटिस जारी किया। दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 397 के तहत अपनी शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए न्यायमूर्ति एन. आनंद वेंकटेश ने स्वत: संज्ञान लेकर आपराधिक पुनरीक्षण याचिका दर्ज की और तमिलनाडु सरकार को नोटिस जारी किया। अदालत ने मामले की सुनवाई सात सितंबर तक के लिए स्थगित कर दी।
अभियोजन पक्ष का मामला यह था कि द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) के वरिष्ठ नेता पोनमुडी ने 1996 और 2001 के बीच मंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान अपने और अपनी पत्नी के नाम पर 1.4 करोड़ रुपये की संपत्ति अर्जित की थी, जो उनकी आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक थी। मामले की सुनवाई की ओर इशारा करते हुए न्यायाधीश ने कहा कि छह जून, 2023 तक, एक मामला जो वर्षों से लंबित था, बड़ी तत्परता के साथ आगे बढ़ना शुरू हो गया। अदालत ने कहा कि वेल्लोर के प्रधान जिला न्यायाधीश (पीडीजे) ने मामले में तेजी दिखाई, जो 30 जून, 2023 को पद छोड़ने वाले थे।
न्यायमूर्ति वेंकटेश ने कहा, ”छह जून को बचाव पक्ष की ओर से एक गवाह से जिरह हुई। 23 जून को, आरोपी की ओर से लिखित दलीलें दी गईं और 28 जून, 2023 को, यानी, 4 दिन के भीतर, पीडीजे, वेल्लोर ने अभियोजन पक्ष के 172 गवाहों और 381 दस्तावेजों पर गौर करते हुए सभी आरोपियों को बरी करते हुए 226 पेज का फैसला सुनाया।”
घटनाओं के क्रम और मामले को विल्लुपुरम से वेल्लोर स्थानांतरित करने के लिए अपनाई गई प्रक्रिया के बारे में न्यायाधीश ने कहा कि यह आपराधिक न्याय प्रणाली में हेरफेर करने और उसे नष्ट करने के एक चौंकाने वाले और सुविचारित प्रयास का खुलासा करता है। न्यायाधीश ने कहा, ”मामले के संबंध में विसंगतियों के मेरे संज्ञान में आने के बाद, मैंने सीआरपीसी की धारा 397 और 401 और संविधान के अनुच्छेद 227 के तहत अपनी शक्तियों का इस्तेमाल करने का फैसला किया है क्योंकि मुझे लगता है कि आपराधिक न्याय प्रशासन को कमजोर करने और विफल करने का एक सुविचारित प्रयास किया गया।”
पोनमुडी को हाल में चेन्नई की एक अदालत ने जमीन कब्जा करने के मामले में बरी कर दिया था। वह कथित अवैध रेत खनन से जुड़े धन शोधन मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच के घेरे में भी हैं।
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