नई दिल्ली । तमिलनाडु (Tamil Nadu) के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन (Chief Minister MK Stalin) ने अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम (AIADMK) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के गठबंधन निशाना साधा। उन्होंने कहा कि इस गठजोड़ की वजह सत्ता की भूख है। यह गठबंधन राज्य के अधिकारों की सुरक्षा जैसे आदर्शों के खिलाफ है और यह असफल ही होगा। राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी अन्नाद्रमुक और केंद्र में सत्तासीन राष्ट्रीय पार्टी भाजपा के बीच गठबंधन की घोषणा पर उन्होंने तीखी प्रतिक्रिया दी। स्टालिन ने कहा कि अन्नाद्रमुक NEET (मेडिकल प्रवेश परीक्षा), हिंदी थोपने, तीन भाषा नीति और वक्फ अधिनियम का विरोध करने का दावा करती है। यह भी कहती है कि परिसीमन के दौरान तमिलनाडु का प्रतिनिधित्व कम नहीं होना चाहिए।
मुख्यमंत्री ने पूछा, ‘क्या ये सभी बातें न्यूनतम साझा कार्यक्रम का हिस्सा हैं?’ उन्होंने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इनमें से किसी के बारे में बात नहीं की। अन्नाद्रमुक नेतृत्व को कुछ बोलने तक नहीं दिया। उन्होंने प्रेसवार्ता का इस्तेमाल केवल उनकी द्रविड़ मुनेत्र कषगम, द्रमुक सरकार और उनकी आलोचना करने के लिए किया। मुख्यमंत्री ने कहा, ‘अन्नाद्रमुक-भाजपा गठबंधन विफल होने के लिए अभिशप्त है। यह तमिलनाडु की जनता ही थी जिसने इस गठबंधन को बार-बार हराया। अब शाह ने उसी विफल गठबंधन का फिर से गठन किया है।’
‘गठबंधन गठबंधन किस वैचारिक आधार पर बना’
एमके स्टालिन ने कहा कि अमित शाह यह बताने में विफल रहे कि गठबंधन किस वैचारिक आधार पर बना था, इसके बजाय उन्होंने केवल यह आश्वासन दिया कि एक साझा न्यूनतम कार्यक्रम तैयार किया जाएगा। उन्होंने कहा, ‘द्रविड़ मुनेत्र कड़गम एक आंदोलन है जो राज्य के अधिकारों, भाषाई अधिकारों और तमिल संस्कृति की रक्षा के लिए खड़ा है। इसके विपरीत भाजपा-अन्नाद्रमुक गठबंधन सत्ता की भूख के साथ बना है और इन सभी आदर्शों के खिलाफ खड़ा है। लोग यह नहीं भूले हैं कि एडप्पादी पलानीस्वामी ने सत्ता की अपनी प्यास में तमिलनाडु की गरिमा और अधिकारों को दिल्ली के पास गिरवी रख दिया। राज्य को बर्बाद कर दिया।’
जयललिता के कार्यकाल को लेकर भी घेरा
द्रमुक अध्यक्ष ने कहा कि जब शाह ने अन्नाद्रमुक के साथ गठबंधन की पुष्टि करते हुए भ्रष्टाचार के बारे में बात की थी, तो तमिलनाडु के लोग निश्चित रूप से हंसे होंगे। स्टालिन ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री व अन्नाद्रमुक नेता जे जयललिता को भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते 2 बार अपना पद छोड़ना पड़ा। उन्हें बेंगलुरु की एक विशेष अदालत ने आय के ज्ञात स्रोत से अधिक की संपत्ति के मामले में 4 साल की कैद की सजा सुनाई। अगर भाजपा उनकी (जयललिता की) पार्टी से गठजोड़ करती है तो क्या वह भरोसे से भ्रष्टाचार के बारे में बोल सकती है।
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