नई दिल्ली। रविवार को अफगानिस्तान(Afghanistan) में तालिबान (Taliban) युग लौट आया. सबसे बड़ा सियासी उलटफेर तब हुआ जब सत्ता परिवर्तन को हरी झंडी दिखा दी गई. एक तरफ अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी (Afghan President Ashraf Ghani) देश छोड़कर ताजिकिस्तान(Tajikistan) चले गए, वहीं दूसरी तरफ तालिबानी नेता अहमद अली जलाली (Taliban leader Ahmed Ali Jalali) को अंतरिम सरकार का चीफ बनाने पर सहमति बन गई. शुरुआत में ये भी कहा गया कि तालिबान को भी जलाली को राज स्वीकार होगा.
लेकिन एक इंटरव्यू में तालिबानी प्रवक्ता ने स्पष्ट कर दिया है कि उन्हें अली अहमद जलाली का सत्ता में आना स्वीकार नहीं है और तालिबान भी उसका समर्थन नहीं करेगा. कहा गया कि अंतरिम सरकार का चीफ जलाली को नहीं बनाया जाएगा. तालिबान को ये प्रस्ताव मंजूर नहीं है. तालिबान का ये बयान काफी मायने रखता है. गनी के जाने के बाद जलाली की सरकार से अफगानिस्तान में शांति स्थापित करने की उम्मीद थी. लेकिन अगर तालिबान ने ही इस प्रक्रिया में साथ नहीं दिया तो मुश्किलें कम होने के बजाय और ज्यादा बढ़ सकती हैं.
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