काबुल । अफगानिस्तान की राष्ट्रीय सुलह परिषद के प्रमुख अब्दुल्ला अब्दुल्ला ने कहा, तालिबान की हिंसा के जरिए वापसी नहीं होने दी जाएगी। शांति प्रयासों के तहत किया गया समझौता तालिबान को मानना ही होगा। अब्दुल्ला ने यह बात कांधार के पुलिस प्रमुख जनरल अब्दुल राजिक की दूसरी पुण्यतिथि पर कही। यहां उप-राष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार हमदुल्लाह मोहेब और जमीयत-ए-इस्लामी के प्रमुख सलाहुद्दीन रब्बानी भी मौजूद थे।
उन्होंने कहा यदि तालिबान ये समझ रहे हैं कि वे अंतरराष्ट्रीय सेना की वापसी के बाद दोबारा लौट आएंगे तो यह उनकी गलतफहमी है। अफगानिस्तान की जनता उनके इरादों को सफल नहीं होने देगी। अब्दुल्ला ने हेलमंद प्रांत मे निरीह जनता के बीच हिंसा करने वालों की निंदा की,कहा कि दोनों में से कोई भी पक्ष मारकाट और खूनखराबे से अपना लक्ष्य प्राप्त नहीं कर सकता।
अब्दुल्ला ने कहा, ‘अगर कोई आतंकवादी समूह अफगानिस्तान में किसी भी तरह की पकड़ रखता है तो यह हमारे हित में नहीं है। समझौता ऐसा होना चाहिए जो अफगानिस्तान की जनता को स्वीकार्य हो। यह गरिमापूर्ण, टिकाऊ और दीर्घकालिक होना चाहिए।’ प्रभावशाली अफगान नेता ने यह भी कहा कि यदि तालिबान के साथ कोई शांति करार होता है तो अफगानिस्तान के पहाड़ी और रेगिस्तानी क्षेत्रों में स्वच्छंद घूम रहे तथा हम पर या अन्य किसी देश पर हमले कर रहे अन्य सभी आतंकवादी समूहों को उनकी गतिविधियां बंद करनी होंगी।
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