नई दिल्ली। भारत (India) को लेकर तालिबान(Taliban) का रवैया अभी भी पूरी तरह से साफ नहीं हो सका है। तालिबान(Taliban) के कार्यवाहक विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी (Acting Foreign Minister Aamir Khan Muttaki) के 10 नवंबर को पाकिस्तान के दौरे पर जाने से कुछ दिन पहले, उनका एक सहयोगी यह पता लगाने के लिए एक मध्यस्थ के पास पहुंचा कि इस्लामाबाद (Islamabad) में भारत(India) से संबंधित कोई मुद्दा उठाया जाना चाहिए या नहीं। मुत्ताकी(Muttaki) के कार्यालय के सहयोगी ने मध्यस्थ से यह भी पता लगाना चाहा कि क्या तालिबान(Taliban) की विदेश नीति प्रमुख(foreign policy chief) की पाकिस्तानी नेतृत्व (Pakistani leadership) के साथ पहली बैठक में कोई संवेदनशीलता थी या नहीं। इस मामले से परिचित लोगों ने नाम न छापने की शर्त पर यह बताया है।
मुत्ताकी(Muttaki) के सहयोगी को पाकिस्तानी नेतृत्व के साथ अफगानिस्तान को 50,000 टन गेहूं की आपूर्ति करने के लिए भारत द्वारा कई सप्ताह पहले किए गए प्रस्ताव को उठाने की आवश्यकता के बारे में सूचित किया गया था। साथ ही अगस्त में काबुल पर तालिबान के कब्जे के बाद भारत में फंसे सैकड़ों अफगान नागरिकों के लिए यात्रा व्यवस्था करने की आवश्यकता के बारे में बताया गया था। पाकिस्तान ने सीधी उड़ानों के अभाव में वाघा लैंड बॉर्डर क्रॉसिंग के माध्यम से अफगानिस्तान को गेहूं भेजने के भारत के प्रस्ताव का जवाब नहीं दिया था। मुत्ताकी(Muttaki) के नेतृत्व में तालिबान प्रतिनिधिमंडल, जो तीन दिनों के लिए पाकिस्तान में था, ने विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी और प्रधानमंत्री इमरान खान जैसे शीर्ष नेताओं के साथ दोनों मुद्दों को उठाया। नतीजतन, खान ने 22 नवंबर को घोषणा की कि उनकी सरकार इस्लामाबाद और नई दिल्ली द्वारा तौर-तरीकों पर काम करने के बाद भारतीय गेहूं के शिपमेंट की अनुमति देगी। खान ने कहा कि पाकिस्तान उन अफगानों की वापसी में भी मदद करेगा जो इलाज के लिए भारत गए थे और वहीं फंस गए थे।