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    कंधार से गरीबों को निकाल रहा तालिबान, कहा-घर छोड़ों, विरोध में सड़कों पर उतरे सैकड़ों अफगान नागरिक

  • September 17, 2021

    कंधार। अफगानिस्तान (Afghanistan) के कंधार(Kandhar) में लंबे समय से खाली सैन्य छावनी (empty military cantonment) में रहने वाले गरीब अफगान घरों से निकालने के आदेश (Orders to be removed from poor Afghan homes) से स्तब्ध हैं। इस तालिबानी आदेश (Talibani Order) के खिलाफ सैकड़ों लोगों ने प्रदर्शन (Hundreds of people demonstrated) कर कहा, उन्हें नहीं पता कि अब वे कहां जाएंगे।
    प्रदर्शन के बाद तालिबान कार्यकर्ता परिसर में आए और कई प्रदर्शनकारियों को वहां से जाने को मजबूर किया। प्रदर्शनकारी फिलहाल कहां हैं, इसकी जानकारी किसी को नहीं है। तालिबान(Taliban) ने 2,500 परिवारों को घर व सारा सामान छोड़कर जाने को कहा है ताकि लड़ाके वहां रह सकें।



    परिसर के निवासी इमरान ने कहा, अपने साथ केवल कपड़े लेकर जल्द से जल्द यहां से जाने को कहा गया है। परिसर 2001 से खाली पड़ा था, जब तालिबान पर अमेरिका के नेतृत्व में आक्रमण किया गया था तब वहां रह रहे अफगान सैनिकों ने कंधार हवाई अड्डे (Kandahar Airport) पर स्थित केंद्रों में डेरा डाल लिया था। कुछ वर्षों से परिसर में विस्थापित अफगान रहने लगे। उन्होंने वहां की जमीनें खरीदीं और अपने घर बनाए।
    अफगान बच्चों पर हिंसा…सुरक्षा बड़ी चिंता : यूएन
    तालिबान के कब्जे के बाद से अफगानिस्तान में बच्चों पर हिंसा बढ़ी है। संयुक्त राष्ट्र में बच्चों और सशस्त्र संघर्ष के लिए विशेष प्रतिनिधि वर्जीनिया गाम्बा के हवाले से इंटरनेशनल फोरम फॉर राइट्स एंड सिक्योरिटी की रिपोर्ट में कहा गया है कि अफगानिस्तान बच्चों के लिए सबसे खतरनाक जगहों में से एक है। अफगानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र सहायता मिशन की रिपोर्ट ने भी कहा, इस साल एक जनवरी से 30 जून के बीच बच्चों के हताहत होने की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज हुई है। इस दौरान मारे गए सभी नागरिकों में से लगभग 32 प्रतिशत बच्चे थे। इनमें से 20 प्रतिशत लड़के और 12 प्रतिशत लड़कियां थीं।

    गनी के भागने से बड़ी योजना पर पानी फिरा : खलीलजाद
    तालिबान के साथ राजनीतिक समाधान के लिए शुरू वार्ता के विशेष प्रतिनिधि जलमय खलीलजाद ने अफगानिस्तान से अमेरिका व नाटो सैनिकों के देश छोड़ने के बाद पहली बार सार्वजनिक बयान दिया है।
    उन्होंने कहा, यदि राष्ट्रपति अशरफ गनी अचानक देश छोड़कर भागे न होते तो हालात कुछ और होते। तालिबान के साथ अंतिम समय में बनी सहमति पर गनी के भागने से पानी फिर गया। एक साक्षात्कार में खलीलजाद ने कहा कि सियासी समाधान के लिए तालिबान से चल रही वार्ता में कट्टरपंथियों को काबुल से अलग रखने और राजनीतिक हस्तांतरण पर बातचीत हो रही थी।
    इस योजना के तहत गनी को कतर में किसी समझौते पर पहुंचने तक पद पर बने रहना था। योजना के तहत तालिबान के काबुल में दरवाजे तक पहुंचने पर भी उन्हें भागना नहीं था। लेकिन 15 अगस्त को गनी के भागने से सुरक्षा व्यवस्था में खालीपन आ गया।

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