काबुल। अफगानिस्तान(Afghanistan) में अपने सैनिकों की पूरी वापसी से पहले वहां स्थिर राजनीतिक व्यवस्था (Stable political system) कायम करने की अमेरिकी (American)मंशा खतरे में पड़ गई है। पिछले साल अमेरिका (America)के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Former president donald trump) के साथ हुए समझौते के बाद पहली बार तालिबान (Taliban) ने खुलकर हमले शुरू कर दिए हैं। शनिवार से रविवार रात तक उसने अफगानिस्तान के अलग-अलग प्रांतों में 141 हमले किए। ये हमले उरुजगान, जाबुल, कंधार, नांगरहार, बादाख्शान और तकहार प्रांतों में किए गए। इनमें कम से कम 20 लोगों की मौत हुई है।
गौरतलब है कि तालिबान(Taliban) और ट्रंप प्रशासन के बीच हुए समझौते में ये प्रावधान था कि एक मई 2021 तक सभी अमेरिकी सैनिक अफगानिस्तान से वापस चले जाएंगे। तालिबान ने उस समय सीमा के पूरा होते ही हमलों की झड़ी लगा दी। तालिबान ने अब खुली धमकी दी है कि वह अमेरिका और नाटो (उत्तर अटलांटिक संधि संगठन) के सैनिकों को निशाना बनाएगा।
गौरतलब है कि वर्तमान अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने जनवरी में सत्ता में आते ही कहा था कि एक मई की समय सीमा का पालन करना संभव नहीं होगा। पिछले महीने उन्होंने एलान किया कि अब सभी अमेरिकी सैनिक अगले 11 सितंबर तक अपने देश लौटेंगे। तालिबान के ज्यादातर हमले रविवार को हुए। अफगानिस्तान के रक्षा मंत्रालय ने दावा किया है कि इन हमलों में 100 से ज्यादा लोगों की जान गई। तालिबान ने रक्षा मंत्रालय के दावे का खंडन किया है। पिछले 30 दिन में हुई हिंसा में अफगानिस्तान के 438 सैनिक और नागरिक मारे गए। 500 से ज्यादा लोग इन हमलों में जख्मी हुए। बमबारी की लगभग 190 घटनाएं हुईं। इसके अलावा पहले से तय निशानों पर गोलीबारी की गई। जानकारों का मानना है जो बाइडन प्रशासन के एक मई की समयसीमा का पालन ना करने के एलान को देखते हुए तालिबान और उसके समर्थक गुटों ने पिछले महीने हमलों में तेजी ला दी। बीते शनिवार को तालिबान के प्रवक्ता जबिउल्लाह मुजाहिद ने एक बयान में कहा था कि तालिबान ने एक मई तक हिंसा ना करने का वादा किया था। ये समय सीमा अब बीत चुकी है। इसके बाद ‘कब्जा जमाने वाली ताकतों’ के खिलाफ तालिबान जो उचित समझे, वह ‘कार्रवाई’ करने का विकल्प उसके लिए खुल गया है। तालिबान इसके पहले यह कह चुका है कि जब तक नाटो के सभी सैनिक अफगानिस्तान से वापस नहीं चले जाते, वह किसी शांति सम्मेलन में भाग नहीं लेगा। अपनी इसी राय के तहत तालिबान ने पिछले महीने तुर्की के शहर इस्तांबुल में हुए शांति सम्मेलन का बहिष्कार किया था। गौरतलब है कि अभी भी नाटो के लगभग दस हजार सैनिक अफगानिस्तान में हैं। उनमें करीब साढ़े तीन हजार अमेरिका के फौजी हैं। खबरों के मुताबिक तालिबान के सख्त रुख को देखते हुए अब अमेरिकी रक्षा मंत्रालय- पेंटागन संभावित हमलों का मुकाबला करने की रणनीति बना रहा है। वॉयस ऑफ अमेरिका की एक खबर के मुताबिक पिछले शनिवार को तालिबान लड़ाकुओं ने गजनी प्रांत में अफगानिस्तान की सेना के एक कैंप पर हमला किया। इसमें कई फौजी मारे गए और दर्जनों अफगान फौजियों को तालिबान ने बंधक बना लिया। अफगानिस्तान स्थित नाटो और अमेरिकी सेना के प्रवक्ता जनरल स्कॉट मिलर ने एक बयान में कहा है कि हिंसा की वापसी अविवेकपूर्ण और त्रासद है। तालिबान को ये भूल नहीं करनी चाहिए, क्योंकि हमारे पास किसी भी प्रकार के हमले का जवाब देने के लिए सभी सैन्य साधन उपलब्ध हैं। इसलिए (तालिबान का) इस दिशा में जाना एक गलती होगी।