नई दिल्ली। अफगानिस्तान(Afghanistan) की राजधानी काबुल (Kabul) में अत्याधिक हथियार लहराते तालिबान आतंकियों (Taliban) का राज कायम हो चुका है. इस संगठन के पास बड़ी संख्या में अत्याधिक हथियारों की मौजूदगी. ये सारे हथियार खरीदने के लिए तालिबान(Taliban) के पास पैसा कहां से आता है?
दरअसल साल 2016 में फोर्ब्स मैगजीन (Forbes Magazine) ने तालिबान को दुनिया का पांचवां सबसे अमीर आतंकी संगठन बताया था. उस वक्त तालिबान(Taliban) का सालाना टर्नओवर करीब 400 मिलियन डॉलर था. लेकिन 2019-2020 में नाटो (NATO) की गोपनीय रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है. रिपोर्ट के मुताबिक चार साल में तालिबान का टर्नओवर बढ़कर 1.6 बिलियन डॉलर यानी 1,18,67,94 करोड़ रुपए हो चुका है.
नाटो की रिपोर्ट कहती है कि इस बड़ी आय की वजह से अंतरराष्ट्रीय समुदाय के दबाव के बावजूद भी तालिबान को अपना संगठन बढ़ाने में मदद मिली. इस रिपोर्ट के लेखक लिन ओ डोनेल ने तो यह भी आगाह किया था कि अगर आतंकी संगठन की आय ऐसे ही बढ़ती रही तो इस पर लगाम लगाना बेहद मुश्किल हो जाएगा.
रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है-अगर तालिबान के खिलाफ वैश्विक रूप से एक्शन नहीं लिया गया तो यह एक अमीर संगठन बना रहेगा. अमेरिका के अफगानिस्तान से हटने के साथ ही तालिबान अब न सिर्फ दक्षिण एशिया में बल्कि पूरे विश्व में देशों को अस्थिर करने वाली ताकत बन सकता है.
तालिबान की आय का सबसे बड़ा जरिया अफीम का अवैध व्यापार है. तालिबान की मजबूत पकड़ वाले दक्षिणी अफगानिस्तान की हेलमंड नदी के पास के इलाकों में दुनिया की 90 फीसदी हेरोइन पैदा होती है. तालिबान अफीम की खेती करने वाले किसानों से टैक्स वसूलता है और फिर अवैध रूप से दुनियाभर में नशे का व्यापार करता है.
रिपोर्ट का कहना है-नाटो सेनाओं को तालिबान की इन गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए जरूर कार्रवाई करनी चाहिए. सत्ता हाथ से जाने के बाद तालिबान ने ईरान, रूस और अब चीन के साथ अपने संबंध बेहतर कर लिए हैं. अमेरिका की डिफेंस इंटेलिजेंस एजेंसी का कहना है कि तालिबान को ईरान की तरफ से वित्तीय, राजनीतिक, ट्रेनिंग जैसी कई मदद मिलती हैं.
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