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    तालिबान का दावा-भारत अफगानिस्तान की मदद करने के लिए तैयार

  • October 21, 2021

    नई दिल्ली। अफगानिस्तान(Afghanistan) में तालिबान के सत्ता(Talibani Rule) हासिल करने के बाद भारतीय प्रतिनिधिमंडल और तालिबान(Taliban) के अधिकारी पहली बार एक दूसरे के आमने-सामने आए हैं. तालिबान (Taliban) ने इस मुलाकात की जानकारी ट्विटर पर दी है. तालिबान (Taliban) ने ये भी कहा है कि भारत अफगानिस्तान की मदद (India Help Afghanistan)करने के लिए तैयार है.
    रूस की ओर से अफगानिस्तान (Afghanistan) मुद्दे पर बुलाई गई मॉस्को फॉर्मेट मीटिंग में भारत ने भी शिरकत की. तालिबान(Taliban) के आधिकारिक प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद ने अपने ट्वीट में बताया कि भारत अफगानिस्तान (Afghanistan) की मदद करने के लिए तैयार है. उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा, मॉस्को में हुई बैठक में भारतीय अधिकारियों ने कहा है कि अफगानिस्तान के लोगों को मानवीय सहायता की जरूरत है, अफगानिस्तान मुश्किल हालात से गुजर रहा है. भारत अफगानिस्तान को मानवीय सहायता प्रदान करने के लिए तैयार है. हालांकि, अभी तक भारत की तरफ से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है.



    साल 2017 से शुरू हुए मॉस्को फॉर्मेट को अफगानिस्तान के मुद्दे को लेकर बनाया गया था. इस बैठक में शामिल होने के लिए चीन, भारत, ईरान और पाकिस्तान समेत 10 देशों को निमंत्रण भेजा गया था. इस मीटिंग के लिए अमेरिका को भी न्योता भेजा गया था लेकिन वह इसमें शामिल नहीं हुआ. अमेरिका ने इस बैठक से पहले ही दोहा में तालिबान के प्रतिनिधिमंडल से बातचीत की थी.
    अफगानिस्तान की न्यूज वेबसाइट टोलो न्यूज के अनुसार, इस मीटिंग से तालिबान को काफी उम्मीदें हैं. अफगानिस्तान के फंड फ्रीज हो जाने के बाद से ही इस देश पर आर्थिक संकट और भुखमरी का खतरा मंडरा रहा है. चूंकि तालिबान ने अपनी समावेशी सरकार से जुड़े वादे नहीं निभाए हैं, ऐसे में रूस तालिबान को अंतर्राष्ट्रीय मान्यता देने की जल्दी में नहीं है.
    रूस के अलावा ताज़िकिस्तान और उज़्बेकिस्तान ने भी तालिबान सरकार को लेकर चिंता जताई है. उन्होंने कहा है कि जो वादे तालिबान सरकार ने सार्वजनिक रूप से किए हैं, उन्हें पूरा नहीं किया गया है. वही कतर भी तालिबान को कह चुका है कि उन्हें अगर इस्लामिक सरकार चलानी है तो कतर से सीखना चाहिए. इसके अलावा कुछ मुस्लिम देश तालिबान में विदेश मंत्रियों को भेजकर उन्हें समावेशी सरकार चलाने और समाज में महिलाओं की भूमिका के महत्व के लिए भी अफगानिस्तान पहुंचने का प्लान कर रहे हैं. पाकिस्तान तालिबान को सपोर्ट करता है और अफगानिस्तान में बुरे हालातों के बीच इस देश को मदद भी पहुंचा रहा है लेकिन पाकिस्तान की भी अपनी सीमाएं हैं क्योंकि पाकिस्तान खुद आर्थिक तंगी से बुरी तरह जूझ रहा है. चीन ने भी अभी तक तालिबान को लेकर बहुत उत्साह भरा रवैया नहीं दिखाया है. ऐसे में तालिबान लगातार कोशिशें कर रहा है कि उसे जितना ज्यादा हो सके, उतनी मदद मिल सके.

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