नई दिल्ली: अफगानिस्तान में सत्ता का अधिग्रहण करने के बाद से ही तालिबान लगातार ही महिलाओं की आजादी पर प्रहार कर रहा है. कुछ महीने पहले तालिबान ने महिलाओं को उच्च शिक्षा हासिल करने और कॉलेज यूनिवर्सिटीज में एडमिशन लेने पर बैन लगाया था. इस मामले में देश में अभी भी कई जगहों पर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. हाल ही मे एक मामला सामने आया है जिसमें महिलाओं के विरोध प्रदर्शन में पुरुष छात्रों ने भी साथ दिया है. एक वीडियो सामने आया है जिसमें यह स्पष्ट देखा जा सकता है कि महिलाओं को शिक्षा नहीं देने के विरोध में पुरुष छात्र क्लासरूम से बाहर निकलते दिखाई दे रहे हैं.
छात्रों के इस कदम का वहां खड़ी छात्राओं ने स्वागत किया और उन्हें प्रोत्साहित करने के लिए तालियां बजाई. कई प्रोफेसर्स भी विरोध करने यूनिवर्सिटीज से बाहर निकल गए. इससे पहले तालिबान के शिक्षा मंत्री ने कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में महिलाओं को पढ़ने से रोकने के शासन के फैसले का बचाव किया था. उन्होंने कहा था कि, ‘हमने महिलाओं से कहा था कि वह ठीक तरह से हिजाब पहने लेकिन, वह ऐसे कपड़े पहनती हैं जैसे वह किसी शादी में जा रही हैं.’
शिक्षा मंत्री निदा मोहम्मद नदीम ने आगे कहा, ‘लड़कियां कृषि और इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रही थीं, लेकिन यह अफगान संस्कृति से मेल नहीं खाता था. महिलाओं को सीखना चाहिए लेकिन उन क्षेत्रों में शिक्षा नहीं लेनी चाहिए जो कि इस्लाम और अफगानिस्तान के ऑनर के खिलाफ हो. ‘ उन्होंने आगे कहा था कि शिक्षण संस्थानों में दोनों जेंडर के बच्चों को पढ़ने देना ठीक नहीं है और इसे रोकने के लिए यह फैसला ‘आवश्यक’ था.
तालिबानी तानाशाही के बीच यूनिवर्सिटीज में काम करने वाले 60 से ज्यादा प्रोफेसर्स ने इस्तीफा दे दिया है. इस खबर को इंडिपेंडेंट ने प्रकाशित किया था. इस खबर में आगे लिखा था कि इस दौरान कई पुरुष छात्रा कॉलेज से बाहर निकल गए और अपनी महिला समकक्षों के साथ एकजुटता में दिखाई. इंडिपेंडेंट के अनुसार काबुल यूनिवर्सिटी में पूर्व फैकल्टी मेंबर ओबेदुल्लाह वारदाक ने कहा कि, ‘इस तरह के युद्धाभ्यास मुझे विश्वविद्यालय के एक सहयोगी प्रोफेसर के रूप में बहुत आहत किया, जिन्होंने एक छात्र और व्याख्याता के रूप में उच्च शिक्षा क्षेत्र में 10 साल से अधिक समय बिताया. अपने पद से इस्तीफा देना मेरे पास अंतिम विकल्प था.’
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