नई दिल्ली। पंचांग के सभी बारह महीनों का अपना अपना महत्व है किंतु जब बात सावन की आती है तो उसका अपना अलग ही विशेष महत्व है. सावन का महीना पूरी तरह से भगवान शिव (Lord Shiva) का महीना माना जाता है क्योंकि इस महीने में भगवान विष्णु(Lord Vishnu) पाताल लोक में रहते हैं और भगवान शिव ही संसार के पालनकर्ता के रूप में कार्य करते हैं. इसीलिए इस महीने में भगवान शिव की पूजा अधिक फलदायी होती है. यूं तो हर भक्त भोले शंकर को प्रसन्न करने के लिए पूजा पाठ करता है किन्तु यदि वह अपने(Worship) व्यवहार और स्वभाव में परिवर्तन कर ले तो भी भोले शंकर (Bhole Shankar) की प्रसन्नता और कृपा पा सकता है.
प्रसन्नता और संपूर्णता का भाव जागृत करें
देखा जाता है कि कुछ लोगों को छोटी छोटी बातों पर क्रोध आ जाता है और वह आग बबूला हो जाते हैं. इसी तरह विचारों में नकारात्मका बनी रहती है, इसे छोड़ते हुए आपको अपने मन में प्रसन्नता और संपूर्णता का भाव जागृत करते हुए एकाग्र हो कर शिव की आराधना में लीन रहना चाहिए.
बड़े बुजुर्गों का सम्मान करें
सावन माह में बुजुर्गों, गुरुओं, माता-पिता और विद्वानों का सम्मान करना चाहिए, भूल कर भी इनका अपमान या कटु वचन नहीं बोलना चाहिए. अपमान या कटु वचन बोलने वाला व्यक्ति खूब पूजा पाठ और व्रत उपवास करने के बाद भी भगवान शिव की कृपा से वंचित रह जाता है.
सावन में बैल की सेवा करें
बैल शिव जी की सवारी नंदी का प्रतीक है. जब भी शिवालय जाएं तो वहां नंदी जी का भी अभिषेक करें, उनपर जलाएं एवं तिलक करें. उसकी सेवा करें और कम से कम सावन में उसके चारे पानी का प्रबंध करें तो स्वाभाविक रूप से शिव जी प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं. बैल के साथ हिंसा नहीं करना है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. हम इसकी पुष्टि नहीं करते है.)
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