नई दिल्ली। महंगाई पर नियंत्रण के बाद अब आरबीआई का ध्यान आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करने पर है। इसी उद्देश्य को लेकर केंद्रीय बैंक ने रेपो दर में 0.25 फीसदी कटौती की घोषणा की है। इस तरह, आरबीआई फरवरी से अब तक रेपो दर में 0.50 फीसदी की कटौती कर चुका है। रेपो रेट वह दर है, जिस पर आरबीआई दूसरे बैंकों को छोटी अवधि के लिए कर्ज देता है। इन दरों में बदलाव का असर बैंक की ब्याज दरों पर भी पड़ता है। यानी कि जब रेपो रेट कम होता है, तब इससे आम ग्राहकों को कर्ज की ईएमआई में राहत मिलती है।
जब रेपो रेट घटता है, तो बैंक भी अपने लोन प्रोडक्ट यानी कर्ज की ब्याज दरों में कटौती करते हैं और नए कर्जदारों को कम ब्याज पर ऋण मिल सकता है। लेकिन, इसका मतलब यह नहीं है कि पुराने ग्राहक जिनका पहले से लोन चल रहा है, उन्हें इससे कोई फायदा नहीं होगा। ध्यान रहे कि अगर आपका लोन फिक्स्ड रेट पर है तो रेपो दर में बदलाव का असर आपके कर्ज पर नहीं पड़ेगा जब तक कि आप अपना लोन फिक्स्ड रेट से फ्लोटिंग रेट में नहीं बदलवा लेते। लेकिन, होम लोन अक्सर लंबी अवधि के लिए फ्लोटिंग रेट सिस्टम पर आधारित होते हैं और रेपो दर से जुड़े होते हैं। अगर आरबीआई ने रेपो दर कम किया है तो आपकी फ्लोटिंग रेट वाले होम लोन की ब्याज दरें भी कम हो जाएंगी। लेकिन, हो सकता है कि इसमें थोड़ा समय लग जाए।
अब यदि आप सोच रहे है कि आपके मौजूदा होम लोन की मासिक किस्त खुद-ब-खुद कम हो जाएगी तो ऐसा नहीं होगा। बैंक ग्राहकों को कर्ज देते समय उस वक्त पर प्रभावित ब्याज दरों के आधार पर ईएमआई तय करते हैं। आप जो ईएमआई अदा करते हैं, उसका एक हिस्सा ब्याज के रूप में बैंक ले लेता है और दूसरा हिस्सा आपके कर्ज राशि में समायोजित होता है। अब जब ब्याज दरें कम हुई हैं तो ईएमआई से पहले के मुकाबले अधिक राशि आपके बकाया लोन में समायोजित की जाएगी, जिससे आपके लोन की अवधि कम हो सकती है और आपका लोन समय से पहले चुकता हो सकता है। लेकिन, यदि आप चाहते हैं कि आपकी लोन की अवधि कम न हो, लेकिन ईएमआई कम हो जाए तो आपको बैंक में आवेदन करना होगा। सामान्य तौर पर यह माना जाता है कि ईएमआई कम न कराई जाए, ताकि भविष्य में ब्याज दरें बढ़ जाए तो उस वक्त आपके कर्ज पर इसका विपरीत असर ना पड़े। साथ ही, आपका लोन समय से पहले पूरा हो सके।
मान लीजिए, किसी ग्राहक ने 30 लाख का होम लोन 20 साल की अवधि के लिए लिया है। अगर ब्याज दर 9 फीसदी है, तो उनकी मासिक किस्त यानी ईएमआई 26,992 रुपये होगी। लेकिन, रेपो दर में कुल 0.50 फीसदी की कटौती होने के बाद (जैसा फरवरी और अप्रैल की कटौती को मिलाकर हो सकता है) अगर होम लोन की ब्याज दर घटकर 8.50 फीसदी रह जाएगी, जिससे ईएमआई भी कम होकर 26,035 रह जाएगी। यानी हर महीने 957 रुपये की बचत। पूरे 20 वर्षों में यह बचत 2,29,680 रुपये तक पहुंच सकती है।
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