भोपाल। मप्र विधानसभा के मानसून सत्र के दूसरे दिन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि पिछले ढाई साल का रिकार्ड उठाकर देख लें, पोषण आहार व्यवस्था से लेकर विभाग की किसी भी योजना के क्रियान्वयन में जिसने भी गड़बड़ी करने की कोशिश की है, सरकार ने उसके खिलाफ कड़ा एक्शन लिया है। अब तक 104 अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही की गई है, 22 अधिकारियों को निलंबित किया गया है, छह को नौकरी से निकाल बाहर किया गया है, तीन अधिकारियों की पेंशन रोकी गई है, 2 की वेतनवृद्धि रोकी गई है, 40 की विभागीय जांच चल रही है और 31 अधिकारियों को लघु शास्ति दी गई है। उन्होंने कहा कि महालेखाकार की रिपोर्ट अंतिम नहीं अंतरिम है, इस पर राज्य सरकार अपना पक्ष पूरी मजबूती के साथ रखेगी हर तथ्य हर आंकड़े की सूक्ष्मता से जांच कर सरकार बिन्दुवार अपना मत एजी को भेजेगी। मैं यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि अगर पूरी जांच में कोई भी गड़बड़ी पाई जाएगी तो सीएजी की रिपोर्ट की प्रतीक्षा किए बिना ऐसा करने वालों के विरूद्ध कठोर कार्यवाही की जाएगी। इससे पहले विधानसभा में बुधवार को कार्यवाही शुरू होने से पहले जमकर हंगामा हुआ। कांग्रेस विधायक पोषण आहार में गड़बडिय़ों को लेकर तख्ती हाथ में लिए हुए थे।
सीएजी एक ड्राफ्ट रिपोर्ट है
मुख्यमंत्री ने कहा कि सीएजी रिपोर्ट ड्राफ्ट रिपोर्ट है। फिर भी सरकार जांच करा रही है। इसमें यदि कोई दोषी होगा तो उसे नहीं छोड़ा जाएगा। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि ऑडिटर ने जो 36 लाख का आंकड़ा बताया है, वो मध्यप्रदेश की 11 से 14 वर्ष की किशोरी बालिकाओं की कुल संख्या है, न कि शाला त्यागी बालिकाओं की। जिस रिपोर्ट को सीएजी की रिपोर्ट बताया जा रहा है, वह सीएजी की रिपोर्ट नहीं केवल एक ड्राफ्ट रिपोर्ट है, इसे महालेखाकार ने तैयार किया है। उन्होंने कहा कि ड्राफ्ट रिपोर्ट में जो पैरा लिखे गए हैं, वे एजी ऑफिस के प्रारंभिक ऑब्जर्वेशन्स है। महालेखाकार की यह ड्राफ्ट रिपोर्ट वर्ष 2018 से लेकर 2021 तक की अवधि की है। रिपोर्ट की अवधि में पिछली सरकार के शासन काल के 15 माह भी सम्मिलित है। सरकार किसी की भी रही हो, लेकिन हम चाहते हैं सभी बिंदुओं पर बारीकी से जांच हो। हमारी सरकार ने 11 से 14 वर्ष की किशोरी बालिकाओं का बेस लाइन सर्वे कर रिपोर्ट सितंबर, 2018 में भारत सरकार को भेजी थी। रिपोर्ट में किशोरी बालिकाओं की संख्या कुल 2 लाख 52 हजार थी। वर्ष 2018 से वर्ष 2021 की अवधि के लिए हितग्राही बालिकाओं की कुल संख्या 5.51 लाख ही है।
कांग्रेस ने ठेकेदारों के हवाले कर दिया था प्लांट
सीएम ने कहा कि मार्च, 2018 में भाजपा सरकार ने पोषण आहार व्यवस्था से निजी कंपनियों को बाहर कर राज्य सरकार ने पोषण आहार की बागडोर प्रदेश के महिला स्व-सहायता समूहों को सौंपी थी। प्रदेश के 7 जिलों- धार, सागर, मंडला, देवास, नर्मदापुरम, रीवा एवं शिवपुरी में 7 पोषण आहार संयंत्रों का निर्माण 60 करोड़ रुपए की लागत से कराया गया। कांग्रेस सरकार ने नवंबर, 2019 में निर्णय लिया कि ये संयंत्र महिला स्व-सहायता समूहों से वापस लेकर पुन: एमपी एग्रो को दे दिए जाएं। इस निर्णय के परिणामस्वरूप फरवरी, 2020 में एमपीएग्रो ने सभी पोषण आहार संयंत्रों को आधिपत्य में ले लिया। इस प्रकार पोषण आहार व्यवस्था को माफिया मुक्त रखने और स्व-सहायता समूहों को सशक्त करने के हमारे निर्णय को बदल दिया। मार्च, 2020 में हमारी सरकार वापस आई तो हमने सितंबर, 2021 में ये निर्णय किया कि सभी पोषण आहार संयंत्र महिला स्व-सहायता समूहों के परिसंघों को फिर से सौंप दिए जाए। हमने सभी 7 संयंत्र नवंबर, 2021 से फरवरी, 2022 के बीच राज्य आजीविका मिशन के अंतर्गत महिला स्व-सहायता समूहों को सौंप दिए। इन समूहों को 141 करोड़ रुपए की राशि एडवांस दी गई ताकि वे व्यवस्थित रूप से इन संयंत्रों का संचालन शुरू कर सकें।
कांग्रेस विधायकों ने आदिवासी बच्चों को चलाया नंगे पैर
विधानसभा की कार्यवाही शुरू होने से पहले आदिवासी बच्चों को कांग्रेस विधायक सदन के बाहर लेकर आए। आदिवासी बच्चों को नंगे पैर सड़क पर चलाया गया। कांग्रेस विधायकों के पैरों में महंगे जूते है और बच्चे नंगे पैर थे। विधानसभा के बाहर प्रदर्शन में बच्चों को नंगे पैर लाया गया। बच्चों के पैरों में चप्पल क्यों नहीं सवाल पर पीसी शर्मा ने कहा कि आदिवासी बच्चों की यही हालत है। न पेट भरने के लिए खाना न पैरों में चप्पल हैं। कांग्रेस ने चप्पल और सैंडल उपलब्ध कराई हैं।
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