काबुल। अफगानिस्तान (Afghanistan) में राज जमा चुके तालिबान (Taliban) की उम्मीदों पर उसके पड़ोसी देश तजाकिस्तान (Tajikistan) ने तगड़ा झटका दे दिया है। तजाकिस्तान ने पाकिस्तान (Pakistan) के सामने ही अफगानिस्तान (Afghanistan) में सरकार के रूप में तालिबान (Taliban) को मान्यता देने से मना कर दिया है। बुधवार को पाकिस्तान (Pakistan) के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी से तजाकिस्तान (Tajikistan) के राष्ट्रपति इमोमाली रहमोन ने दो टूक लहजे में कहा कि उनका देश तालिबान को अफगानिस्तान (Afghanistan) की वैध सरकार के रूप में मान्यता नहीं देगा। बता दें कि तजाकिस्तान (Tajikistan) को रूस (Russia) का काफी करीबी माना जाता है। इस वजह से तजाकिस्तान का यह फैसला काफी चौंकाता है, क्योंकि अब तक तालिबान के प्रति रूस का उदार चेहरा दिखा है।
एक बैठक के बाद बयान जारी करते हुए तजाकिस्तान की राष्ट्रीय सूचना एजेंसी खोवर ने राष्ट्रपति के हवाले से कहा कि जो इस (अफगानिस्तान) देश में उत्पीड़न के माध्यम से बनी है, इस तरीके की किसी भी सरकार को तजाकिस्तान मान्यता नहीं देगा। खोवर ने कहा कि हम ऐसी किसी भी सरकार को मान्यता नहीं देंगे जो अफगान लोगों की स्थिति को ध्यान में न रखते हुए, खासकर सभी अल्पसंख्यकों को ध्यान में रखे बिना बनी हो। उन्होंने इस बात पर भी जोर देते हुए कहा कि अफगानिस्तान की भावी सरकार में ताजिकों का एक योग्य स्थान है।
राष्ट्रपति रहमोन और पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी के बीच बैठक के दौरान ही ताजिकिस्तान ने यह ऐलान किया कि वह अफगानिस्तान में उत्पीड़न से बनी किसी भी सरकार को मान्यता नहीं देगा। उन्होंने अफगानिस्तान में सभी अल्पसंख्यकों, विशेष रूप से ताजिकों की भागीदारी के साथ एक समावेशी सरकार का आह्वान किया, जो 46% से अधिक अफगानिस्तान की आबादी का हिस्सा हैं।
दरअसल, पाकिस्तानी विदेश मंत्री कुरैशी इन दिनों तजाकिस्तान, उज्बेकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और ईरान के चार देशों की यात्रा पर हैं, जिसकी शुरुआत उन्होंने मंगलवार को की। माना जा रहा है कि पाकिस्तान इन देशों से तालिबन को मान्यता दिलवाने की वकालत कर रहा है। विदेश मंत्री कुरैशी तालिबान के कब्जे के बाद अफगानिस्तान की स्थिति पर इन देशों के नेताओं के साथ बातचीत करेंगे। इस्लामाबाद में विदेश कार्यालय ने कहा कि पाकिस्तान का मानना है कि अफगानिस्तान की सुरक्षा और स्थिरता में क्षेत्रीय देशों की महत्वपूर्ण हिस्सेदारी है और आम चुनौतियों से निपटने के लिए समन्वित प्रयासों की आवश्यकता है।
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