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    ताइवान की राष्ट्रपति ने कहा- अपनी संप्रभुता से कोई समझौता नहीं, अपने लोकतंत्र की दृढ़ता से रक्षा करेंगे

  • August 05, 2022


    अमेरिकी प्रतिनिधि सभा (US House of Representatives) की स्पीकर नैन्सी पेलोसी (Nancy Pelosi) के ताइपे (Taiwan) दौरे से भड़के चीन (China) ने अपनी ताकत दिखाने के लिए ताइवान जलडमरूमध्य में बड़े पैमाने पर सैन्य अभ्यास में विमानवाहक पोत और परमाणु क्षमता से लैस पनडुब्बी तैनात कर दिए हैं. जिसके बाद ताइवान की राष्ट्रपति त्साई इंग-वेन (Taiwan President Tsai Ing-wen) ने कहा है कि चीन द्वारा आज ताइवान के आसपास के क्षेत्रों में सैन्य अभ्यास शुरू करने के साथ, हम बीजिंग (Beijing) से तर्क के साथ काम करने और संयम बरतने का आह्वान करते हैं. ताइवान संघर्ष को नहीं बढ़ाएगा, लेकिन हम अपनी संप्रभुता, अपनी सुरक्षा और अपने लोकतंत्र की दृढ़ता से रक्षा करेंगे.



    उल्‍लेखनीय है कि पेलोसी की ताइवान यात्रा पर चीन ने सख्त आपत्ति जताई थी क्योंकि वह ताइवान को अपने देश का हिस्सा मानता है. पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) की नौसेना अनुसंधान अकादमी के एक वरिष्ठ शोध फैलो झांग जुंशे ने सरकार के नियंत्रण वाले अखबार ‘ग्लोबल टाइम्स’ को बताया था कि बृहस्पतिवार से रविवार तक ताइवान के आसपास अभ्यास में उसका पहला विमान वाहक पोत हिस्सा लेगा, जो एक समुद्री बहुआयामी युद्ध प्रणाली स्थापित करेगा.

    बतादें कि ताइवान दक्षिण-पूर्वी चीन के तट से लगभग 160 किमी दूर एक द्वीप है, जो फूजौ, क्वानझोउ और जियामेन के चीनी शहरों के सामने है। यहां शाही किंग राजवंश का शासन चलता था, लेकिन इसका नियंत्रण 1895 में जापानियों के पास चला गया। द्वितीय विश्व युद्ध में जापान की हार के बाद, ये द्वीप वापस चीनी हाथों में चला गया। माओत्से तुंग के नेतृत्व में कम्युनिस्टों द्वारा मुख्य भूमि चीन में गृह युद्ध जीतने के बाद, राष्ट्रवादी कुओमिन्तांग पार्टी के नेता च्यांग काई-शेक 1949 में ताइवान भाग गए। च्यांग काई-शेक ने द्वीप पर चीनी गणराज्य की सरकार की स्थापना की और 1975 तक राष्ट्रपति बने रहे।

    चीन ने कभी भी ताइवान के अस्तित्व को एक स्वतंत्र देश के रूप में मान्यता नहीं दी है। उसका तर्क है कि यह हमेशा एक चीनी प्रांत था। ताइवान का कहना है कि आधुनिक चीनी राज्य 1911 की क्रांति के बाद ही बना था, और यह उस राज्य या चीन के जनवादी गणराज्य का हिस्सा नहीं है, जो कम्युनिस्ट क्रांति के बाद स्थापित हुआ था। दोनों देशों के बीच राजनीतिक तनाव जारी है। आपको बता दें चीन और ताइवान के आर्थिक संबंध भी रहे हैं। ताइवान के कई प्रवासी चीन में काम करते हैं और चीन ने ताइवान में निवेश किया है।

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