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    Taiwan की तैयारी चीन से मुकाबले के लिए, नौसेनिक बेड़े में शामिल करेगा पनडुब्बी, शुरू किया निर्माण

  • November 25, 2020

    Navy Honor Guards are seen at the ceremony for the start of construction of a new submarine fleet in Kaohsiung, Taiwan, November 24, 2020. REUTERS/Ann Wang

    ताईपे। ऐसा लग रहा है कि अब ताइवान ने चीन से आर-पार करने का मूड बना लिया है। लंबे समय से बातचीत से चीन के साथ चल रहे विवाद को निपटाने पर जोर देने के अब ताइवान की प्राथमिकता में अपनी सेना को मजबूत करना है। इसी के तहत अब ताइवान ने स्वदेश में पनडुब्बी बेड़े के निर्माण पर काम शुरू कर दिया है। ताइवान (Taiwan) का इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट में अमेरिका मदद कर रहा है। पनडुब्बी बेड़े के निर्माण की शुरुआत के मौके पर राष्ट्रपति साई इंग वेन ने एक बार फिर दोहराया कि वे अपने देश की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं। चीन जिसके पास परमाणु हथियार लांच करने में सक्षम युद्धपोत हैं, के मुकाबले ताइवान की नौसेना बहुत ही कमजोर है। यही वजह है कि ताइवान लंबे समय से अपने नौसैनिक बेड़े को मजबूत करने की कोशिश करता रहा है। हालिया पनडुब्बी बेड़े के निर्माण इसी दिशा में एक प्रयास है। खास बात यह है कि इस पनडुब्बी बेड़े का निर्माण ताइवान खुद ही कर रहा है जिसे अमेरिका के सहयोग से शुरू किया गया है।

    ताइवान की सरकार द्वारा समर्थित सीएसबीएस कॉरपोरेशन इस पनडुब्बी बेड़े का निर्माण कर रही है। कंपनी ने कहा है कि 2025 तक 8 पनडुब्बियां फ्लीट में शामिल हो जाएंगी जिससे राष्ट्रपति साई के सैन्य आधुनिकीकरण और आत्मनिर्भर योजना को बढ़ावा मिलेगा। कंपनी चेयरमैन चेंग वेंग ने कहा कि उन्हें इसके निर्माण में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। इस दौरान न उन्हें सिर्फ निर्माण के लिए जरूरी उपकरणों की खरीद में मुश्किल हुई बल्कि बाहरी ताकतों ने भी इसमें बाधा पहुंचाने की कोशिश की। बाहरी ताकतों से उनका आशय चीन को लेकर था। सितम्बर में चीन ने कई बार अपने फाइटर जेट ताइवान जलडमरू मध्य के पार भेजे थे। ताइवान की सेना में अधिकांश सैन्य सामान अमेरिका द्वारा उपलब्ध कराया जाता है। वहीं ताइवान की राष्ट्रपति साई इंग-वेन ने सत्ता में आने के बाद से ही चीनी खतरे के खिलाफ निपटने के लिए सैन्य आधुनिकीकरण को प्रमुखता दी हैं। जून में साई ने देश में डिजाइन किए गए जेट ट्रेनर विमानों की सार्वजनिक उड़ान का निरीक्षण किया था।

    चीन का कहना है कि ताइवान उसका हिस्सा है और एक दिन वन चाइना पॉलिसी के तहत उसे मेन चाइना में मिला लिया जाएगा। दूसरे देशों की तरह अमेरिका के भी ताइवान से सीधे रिश्ते नहीं हैं लेकिन अमेरिका ताइवान को सपोर्ट करता है। पिछले महीने ही अमेरिका के मंत्री कीथ क्रैच ताइवान पहुंचे थे जिससे चीन तिलमिलाया हुआ था। चीन ये भी कहता रहा है कि जरूरत पड़ने पर ताइवान पर ताकत के बल पर कब्जा किया जा सकता है। वहीं ताइवान के लोग खुद को एक अलग देश के रूप में देखना चाहते हैं। चीन में हांग कांग की तरह ही ताइवान को लेकर भी एक देश दो व्यवस्था वाले मॉडल को लागू किए जाने की बात की जाती है लेकिन वर्तमान में ताइवान की राष्ट्रपति साई इंग-वेन ने इस मॉडल को नकार दिया है। सांई इंग-वेन ताइवान को एक संप्रभु देश के तौर पर देखती हैं और वन चाइना पॉलिसी का विरोध करती हैं। 2016 में वेन के सत्ता में आने के बाद चीन और ताइवान के रिश्तों में दूरी बढ़ गई है।

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