ताइपे। चीन और ताइवान के बीच तनातनी बढ़ती जा रही है। इस बीच ताइवान ने अपने नागरिकों से चीन और अर्ध-स्वायत्त चीनी क्षेत्रों हांगकांग और मकाऊ की यात्रा करने से बचने का आग्रह किया है। बीजिंग ने स्वशासित द्वीप ताइवान के लोकतंत्र की स्वतंत्रता के समर्थकों को मार डालने की धमकी दी थी, जिसके बाद ताइवान ने अपने नागरिकों से यह अपील की है।
चीन दावा करता है कि ताइवान उसका अपना क्षेत्र है और यदि आवश्यक हुआ तो वह बलपूर्वक उस पर कब्जा कर सकता है। स्वतंत्रता समर्थक डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी के लाई चिंग-ते के राष्ट्रपति चुने जाने के बाद चीन ने ताइवान के स्वतंत्रता समर्थकों को खोज खोज कर मार डालने की धमकी दी है। चीन ने 2016 में डीपीपी की पूर्व राष्ट्रपति त्साई इंग-वेन के चुनाव जीतने के बाद से ताइवान की सरकार के साथ सभी तरह के संपर्क से इनकार कर दिया है।
लियांग ने कहा, “चीन की ओर से मिल रही धमकी को देखते हुए नागरिकों की सुरक्षा के लिए सरकार की यह जिम्मेदारी है कि वह नागरिकों को सलाह दे। सरकार यात्राओं पर प्रतिबंध नहीं लगा रही है, लेकिन जो लोग यात्रा करते हैं, उन्हें राजनीतिक राय व्यक्त नहीं करनी चाहिए या किताबें नहीं ले जानी चाहिए या ऐसे विषयों पर ऑनलाइन पोस्ट नहीं करना चाहिए जिसको आधार बनाकर सत्तावादी कम्युनिस्ट पार्टी उन्हें हिरासत में ले या मुकदमा चलाए।”
बता दें कि, बड़ी संख्या में ताइवान के लोग चीन में रहते हैं या व्यापार, पर्यटन या पारिवारिक यात्राओं के लिए हर साल हजारों लोग वहां जाते हैं। चीन और ताइवान के बीच सीधी उड़ानें संचालित हैं। हालांकि, बीजिंग ने ताइवान पर आर्थिक दबाव बनाने के लिए द्वीप पर पर्यटन को प्रतिबंधित कर दिया है, सैन्य अभ्यास की धमकी दी है और ताइवान के चारों ओर युद्धपोतों और सैन्य विमानों की दैनिक तैनाती करता है।
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