भोपाल। मप्र की 28 विधानसभा सीटों पर 3 नवंबर को वोट डाले जाएंगे। इस उपचुनाव में बागियों के साथ ही दागी उम्मीदवारों की भरमार है। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉम्र्स (एडीआर)विश्लेषण में यह बात सामने आई है कि उपचुनाव में 18 फीसदी उम्मीदवार मैदान में हैं। वहीं भाजपा से 25 और कांग्रेस से 9 प्रत्याशी बागी यानी दलबदलू हैं। विधानसभा उपचुनाव जीतने के लिए राजनीतिक दलों ने एक बार फिर आपराधिक पृष्ठभूमि के उम्मीदवारों पर भरोसा जताया है। इस मामले में दलों पर सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का कोई खास असर नहीं पड़ा है। कोर्ट ने 13 फरवरी, 2020 को दलों से आपराधिक छवि वाले प्रत्याशियों के चयन के कारणों का ब्योरा देने के लिए कहा था। साथ ही आपराधिक छवि वाले उम्मीदवारों के चयन की स्थिति में कई बंदिशें भी लगाई थीं। फिर भी प्रदेश में 18 फीसद (63) आपराधिक छवि वाले उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं। 11 फीसद (39) पर गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं।
यह बात उम्मीदवारों के शपथ पत्र के आधार पर एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉम्र्स (एडीआर) ने अपनी विश्लेषण रिपोर्ट में उजागर की है। इसने गंभीर अपराधों के आरोपितों को टिकट देने वाले दलों की कर छूट रद करने की सिफारिश की है। प्रदेश की 28 विधानसभा सीटों के लिए हो रहे उपचुनाव में 355 उम्मीदवार अपना भाग्य आजमा रहे हैं। इनमें छह फीसद (22) महिला उम्मीदवार हैं।
एडीआर की सिफारिश
हत्या, दुराचार, तस्करी, डकैती, अपहरण जैसे जघन्य अपराधों के दोषी उम्मीदवारों को स्थायी रूप से अयोग्य घोषित किए जाएं और ऐसे लोगों को टिकट देने वाले राजनीतिक दलों की टैक्स छूट रद की जाए। चुनाव से छह माह पहले भी गंभीर अपराधों के मामले प्रकाश में आने पर आरोपित उम्मीदवारों को अयोग्य घोषित किया जाए। राजनीतिक दलों को आरटीआइ कानून में दायरे में लाया जाए। कोई राजनीतिक दल जानबूझकर आपराधिक छवि वाले उम्मीदवार को खड़ा करता है तो उसका पंजीयन निरस्त किया जाए। चुनावी घोषणा पत्र में गलत जानकारी देने वाले उम्मीदवारों को अयोग्य घोषित करना चाहिए।
दागी प्रत्याशियों में कांग्रेस सबसे आगे
एडीआर की रिपोर्ट के मुताबिक कांग्रेस में 50 फीसद (14) उम्मीदवारों की आपराधिक पृष्ठभूमि है तो भाजपा में 28 में से 12 (43 फीसद) उम्मीदवारों का आपराधिक रिकॉर्ड है। बहुजन समाज पार्टी ने आपराधिक पृष्ठभूमि वाले 29 फीसद उम्मीदवारों को टिकट दिया है, तो समाजवादी पार्टी के 14 में से चार उम्मीदवारों की आपराधिक पृष्ठभूमि है। इस बार 178 निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं। उनमें भी नौ फीसद आपराधिक पृष्ठभूमि से आते हैं। उपचुनाव में 28 में से 10 ऐसे क्षेत्र हैं, जिनमें तीन या उससे अधिक उम्मीदवार ऐसे हैं, जिन्होंने अपना आपराधिक रिकॉर्ड पेश किया है।
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